
- वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नाथपंथ एवं बौद्ध परम्परा की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी का समापन
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर एवं महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित ” वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नाथपंथ एवं बौद्ध परम्परा की प्रासंगिकता ” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन रविवार को हुआ।
समापन सत्र की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभा गौड, माननीय कुलपति माँ विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय, मिर्जापुर ने हिन्दी संस्थान, लखनऊ के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त व सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध केंद्र के विशेष कार्याधिकारी प्रो. सुशील कुमार तिवारी के साथ समापन सत्र का शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभा गौड ने कहा कि नाथ पंथ में भारतीय संस्कृति स्वतः प्रवाहित होती रहती है। गोरखनाथ ने सामाजिक एवं आध्यात्मिक पुनर्जागरण का बिगुल बजाया। उन्होंने योग केंद्रित ज्ञान को आगे बढ़ाया। जन-जन तक पहुचाया। यह सामाजिक एवं आध्यात्मिक पुनर्जागरण का आधार बना। उन्होंने विंध्य क्षेत्र एवं नाथ पंथ की सांस्कृतिक अंतरसंबंधों के आख्यानों पर विस्तृत चर्चा किया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त ने कहा कि बौद्ध धर्म ही ऐसा धर्म है जिसमें करुणा पर सबसे अधिक बल दिया गया है। अहिंसा एवं करुणा का संदेश बहुत ही सार्थक है। हमारा विश्व विभिन्न मतों, संस्कृतियों, दृष्टियों में बटा हुआ है। हमारे शब्द एवं हमारे व्यवहार में बहुत ही गहरी खाई है। हम जो कहते है उसको आचरण में उतारना पड़ेगा। गोरखनाथ ने आचरण पर बहुत ही अधिक बल दिया है। गोरख नहीं होते तो कबीर नहीं होते। नाथपंथियों ने राष्ट्र चेतना के निर्माण मे अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संगोष्ठी के संयोजक राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर के उप निदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सारांश प्रस्तुत करते हुए संगोष्ठी के मंथन से निकले निष्कर्षों को पुस्तकाकार रूप प्रकाशित करने की इच्छा व्यक्त की। समापन सत्र का संचालन डॉ. अभिषेक शुक्ल ने किया।
इस अवसर पर गोरक्षनाथ शोधपीठ की त्रैमासिक पत्रिका गोरख पथ के वार्षिकांक का विमोचन भी किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर के अनेक विश्वविद्यालय से आये हुए वक्ता, विषय विशेषज्ञ, प्रतिभागी एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के सभी संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण प्रो. राजेश कुमार सिंह, प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो. विजय श्रीवास्तव,डॉ. संजीव विश्वकर्मा, डॉ. रमेश चंद, डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, डा. सुनील कुमार, डा. हर्षवर्धन सिंह चिन्मयनन्द मल्ल एवं शोध-छात्र आदि उपस्थित रहे।
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