नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर पर टैरिफ, वैश्विक आर्थिक सुस्ती और भू-राजनीतिक तनावों का सीधा असर दिखाई दे रहा है। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर 2025 में कुल सकल निर्यात 2168.05 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 27% की भारी गिरावट दर्शाता है।
वहीं कुल सकल आयात भी घटकर 1276.8 मिलियन डॉलर रह गया, जो साल-दर-साल आधार पर 19.2% गिरावट को दर्शाता है।
क्यों घटा जेम्स-एंड-ज्वेलरी का आयात और निर्यात?
GJEPC की रिपोर्ट के अनुसार व्यापार में बड़ी गिरावट के प्रमुख कारण हैं:
- अमेरिकी टैरिफ और अमेरिका–यूरोप–चीन में धीमी आर्थिक वृद्धि
- ऊंची ब्याज दरों और सतर्क उपभोक्ता खर्च से कमजोर मांग
- आपूर्ति शृंखला में बाधाएं और भू-राजनीतिक तनाव
- सोने–चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव
- प्रयोगशाला में उगने वाले हीरे (Lab-grown Diamonds) का बढ़ता प्रभाव
- मजबूत डॉलर और मुद्रा में उतार-चढ़ाव, जिससे भारत की मूल्य प्रतिस्पर्धा प्रभावित
ये सभी कारक मिलकर जेम्स एंड ज्वेलरी व्यापार पर दबाव बना रहे हैं।
शादी और त्योहारों के मौसम में मांगे बढ़ने की उम्मीद
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह का कहना है कि पहले लगाए गए टैरिफ का प्रभाव अब मजबूत रूप से सामने आ रहा है—लागत बढ़ी, खरीदारी कम हुई और निर्माताओं पर इन्वेंट्री का दबाव बढ़ा है।
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पश्चिमी देशों में छुट्टियों और फेस्टिव डिमांड
के चलते आने वाले महीनों में कारोबार में सुधार देखने को मिलेगा। भारत का घरेलू बाजार त्योहारों और शादियों के दौरान पारंपरिक रूप से मजबूत बिक्री का साक्षी रहा है।
जेम्स एंड ज्वेलरी नीति 2025 को मंजूरी
GJEPC के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने जेम्स एंड ज्वेलरी नीति 2025 को औपचारिक मंजूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य राज्य को वैश्विक ज्वेलरी हब के रूप में स्थापित करना है।
कॉलिन शाह ने यह भी कहा कि अमेरिका–भारत व्यापार वार्ता अंतिम चरण में है, और उद्योग को उम्मीद है कि इससे टैरिफ संबंधी राहत मिलेगी तथा पूरे सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
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