December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

मुझे जीवन भर का बंधन दो, पर बंधन का आभास न दो-नीरजा बसंती

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)।साहित्य शक्ति संस्थान देवरिया- उत्तर प्रदेश के संयोजन मे विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर चार दिवसीय राष्ट्रीय काव्यमहोत्स्व का आयोजन किया गया।साहित्य शक्ति संस्थान साहित्य को समर्पित एक ऐसी संस्था है जो निरंतर साहित्य के उत्थान के लिए समर्पित हैं !इस संस्थान द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर चार दिवसीय काव्य सम्मेलन एवं हिंदी के उत्थान के लिए परिचर्चा का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम का शानदार आगाज साहित्य शक्ति संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ कवयित्री नीरजा बसंती गोरखपुर के संचालन में,परम्परानुरूप रजनी उपाध्याय अनूपपुर की वाणी वंदना “एक स्वर में शारदे माँ भक्त जब वंदन करें” से हुआ,डा.विनीता मिश्रा ने अपने सुमधुर स्वर अभिनंदन गीत -“क्या करूँ समर्पण सोच रही” गाकर कार्यक्रम को आगे बढाया!मुरादाबाद की कवयित्री व शिक्षिका दीप्ती खुराना ने “कभी पुष्प तो कभी कटार” पढ़कर शब्दों की महिमा बताई तो मऊ उत्तर प्रदेश की कवियत्री गुंजन गुप्ता गुनगुन ने अपने मृत्युन्जयी गीत “जीवन भर का बंधन दो पर बंधन का आभास न दो ” को सुना कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।कोलकाता की कवयित्री व संस्थान की राष्ट्रीय सचिव प्रणाली श्रीवास्तव ने “मैं शब्द हूं मुझको तू आकार दे,सुक्ष्म हूं तो क्या हुआ मुझको तू आकार दे।”सुनाकर वाहवाही लूटी।देवरिया की कवयित्री व शिक्षिका सुनीता सिंह सरोवर ने “हमारे राजभाषा की सुनो,पहचान हिंदी है।” रचना की सराहना सभी स्रोताओ ने की।
इनके अतिरिक्त मिनेश चौहान फर्रूखाबाद,अंजना झा वरिष्ठ कवयित्री नोयडा,सुमनलता गाजियाबाद,वाणी अग्रवाल वाराणसी,अशोक प्रियदर्शी चित्रकूट,नीलोफर नीरू जी देहरादून आदि रचनाकारों ने अपने काव्यपाठ से यह एहसास दिलाया की आज का रचनाकार हिंदी को न केवल अमूल्य धरोहर समझता हैं अपितु इसके उत्थान हेतु सकल्पित भी हैं !कार्यक्रमके मध्य में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंकज प्राणेश ने अपने ओजस्वी उद्बोधन से रचनाकारों का मनोबल बढ़ाया तो वही कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ कवियत्री वीनू शर्मा जी ने दोहे के माध्यम से हिंदी गुणगान कर सभी रचनाकारो को आशीर्वाद दी।कार्यक्रम में सभी रचनाकारो की रचनाओं की समीक्षा कर रहे सस्थान के मुख्य राष्ट्रीय सरक्षक वीरेंद्र मिश्र विरही जी ने “मेरे जीबन में वसंत सा प्यार नहीं” गा कर कार्यक्रम को स्मरणीय बना दिया।