कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. मेनका ने जनपद के सभी कृषक भाइयों को जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान मौसम में धान की फसल में आभासी संत नामक रोग (जिसे स्थानीय भाषा में हल्दिया रोग भी कहा जाता है) लगने की प्रबल संभावना है। यह रोग अधिक नमी और उच्च तापमान की स्थिति में तेजी से फैलता है।इस रोग के प्रकोप से धान की बाली में पीले रंग की गाँठें दिखाई देने लगती हैं, जिससे बीज की गुणवत्ता प्रभावित होती है और उचित मूल्य नहीं मिल पाता, परिणामस्वरूप किसानों को भारी आर्थिक हानि होती है।
डॉ. मेनका ने बताया कि यह बीमारी बीज शोधन एवं *भूमि शोधन द्वारा ही कम लागत पर प्रभावी रूप से नियंत्रित की जा सकती है। चूंकि यह रोग फसल के अंतिम अवस्था में प्रकट होता है, इसलिए उस समय किसी भी उपचार का प्रभाव नहीं होता और अनावश्यक धन की हानि होती है। इसके सूक्ष्म स्पोर (कण) कटाई के समय कार्य करने वाले लोगों के श्वास के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर श्वास संबंधी रोग भी उत्पन्न कर सकते हैं।उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि फसल में बाली निकलने से पूर्व या बाली निकलते समय प्रवाही फफूंदनाशक रसायन जैसे प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या हेक्साकोनाजोल 5 एससी की 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।इसके अलावा किसी भी फसल में बीमारी या कीट-रोग की समस्या होने पर किसान सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (PCSRS) के नंबर 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाट्सएप या टेक्स्ट संदेश के माध्यम से संपर्क कर विशेषज्ञों से त्वरित सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
फसलों में लगे रोग के निवारण हेतु व्हाट्सएप के माध्यम से लें जानकारी
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