डीडीयूजीयू में जेंडर सेंसिटाइजेशन पर केंद्रित 14-दिवसीय बहुविषयक रिफ्रेशर कोर्स संपन्न
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय टीचर ट्रेनिंग सेंटर एवं समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित 14-दिवसीय बहुविषयक रिफ्रेशर कोर्स (पुनश्चर्या पाठ्यक्रम) का समापन समारोह गुरुवार को आयोजित हुआ।
मुख्य अतिथि पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के समाजशास्त्र विभाग की पूर्व प्रोफेसर एवं बार काउंसलिंग ऑफ पंजाब एवं हरियाणा की सीनियर एडवोकेट प्रो. राजेश गिल ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि जेंडर संवेदनशीलता की शुरुआत व्यक्ति को स्वयं से करनी होगी। समाज में स्थापित जेंडर भूमिकाओं में बदलाव लाए बिना वास्तविक समानता संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जेंडर को केवल स्त्री-पुरुष की सीमित परिधि में देखने के बजाय उसे एक बहुविध अवधारणा के रूप में समझने की आवश्यकता है। विविध लैंगिक पहचानों का सम्मान किए बिना न्यायपूर्ण समाज की कल्पना अधूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि बचपन से ही बच्चों में जेंडर के प्रति संवेदनशील दृष्टि विकसित करना जरूरी है, ताकि वे समानता और सम्मान आधारित समाज का निर्माण कर सकें।
समापन सत्र में एमएमटीटीसी के निदेशक प्रोफेसर चंद्रशेखर ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि जेंडर सेंसिटाइजेशन आज की सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षणिक जरूरतों में से एक है, जिस पर इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में लगातार विमर्श हुआ।
कोर्स समन्वयक एवं समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनुराग द्विवेदी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि कुलपति प्रो पूनम टंडन के मार्गदर्शन में 14 दिनों में देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों के लगभग 40 व्याख्यान आयोजित हुए। इन व्याख्यानों में जेंडर के सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक और नीतिगत आयामों पर गंभीर विमर्श किया गया।
कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. कीर्ति पांडेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि जेंडर-संवेदनशील दृष्टिकोण समाज में समान अधिकार, सम्मानजनक व्यवहार और सहयोगी वातावरण की बुनियाद है।
कार्यक्रम के सह-समन्वयक डॉ. मनीष पांडेय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षकों और शोधार्थियों की ज़िम्मेदारी है कि वे कक्षा, शोध और नीति-निर्माण के प्रत्येक स्तर पर इस विमर्श को आगे बढ़ाएं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. तूलिका सिन्हा ने किया। डॉ. जूही देशमुख और डॉ. शगुफ्ता अफरोज ने प्रतिभागियों की ओर से अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में प्रो. संगीता पांडेय, प्रो. सुभी धुसिया, प्रो. अंजू, डॉ. पवन कुमार, डॉ. प्रकाश प्रियदर्शी, डॉ. दीपेंद्र मोहन सिंह सहित विभिन्न राज्यों के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से डेढ़ सौ से अधिक प्रतिभागी मौजूद रहे।
