December 3, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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विश्व एवं मानवता का अनुपम उपहार है गीता- प्रो. रणजीत कुमार पाण्डेय

गांधी स्मारक पीजी कॉलेज समोधपुर जौनपुर में गीता जन्मोत्सव पर गोष्ठी का हुआ आयोजन

सुइथाकला/जौनपुर(राष्ट्र की परम्परा)
गीताजयंती, गीताजन्मोत्सव के पावन अवसर पर जीएसपीजी कालेज समोधपुर के संस्कृत विभाग में प्रबन्धक हृदय प्रसाद सिंह ‘रानू’के संरक्षकत्व में एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर डाॅ रणजीत कुमार पाण्डेय ने बताया कि आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व मोक्षदा एकादशी के दिन भारतीय संस्कृति के महानायक लीलापुरुषोतम भगवान् श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र,वर्तमान हरियाणा में विषादग्रस्त अर्जुन को जो कर्तव्योपदेश दिया, वह श्रीमद्भगवद्गीता और संक्षेप मेंं गीता नाम से प्रख्यात हुआ। मानवमात्र के इस अमूल्य धरोहर की महिमा का विश्व के दिग्गज दार्शनिकों,वैज्ञानिकों और विद्वानों ने मुक्तकंठ से बखान किया है। आज पाश्चात्य जगत में भारत का सर्वाधिक उदाहृत और समादृत ग्रंथ गीता ही है। गीता में वर्णित कुरूक्षेत्र का युद्ध तथ्यात्मक इतिहास होने के अतिरिक्त प्रतीकात्मक भी है। हम अपने भीतर और बाहर अनेक द्वन्दों, भयों और विषम परिस्थितियों से निरंतर संघर्ष करते रहते हैं।उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,पद्मनाभ भगवान् श्रीकृष्ण के मुखकमल से निःसृत इस मधुर संगीत को विश्व और मानवता के लिए सर्वोत्तम उपहार मानते हैं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता डाॅ प्रदीप दूबे ने गीता को मानवमात्र का मित्र, बन्धु और गुरु कहा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक चकाचौंध वाले आज के इस अशांत विश्व में गीतादर्शन ही सर्वाधिक उपयोगी और लाभदायक है। गीता का मूल्य सम्पूर्ण मानवता के लिए है। क्षेत्रीय विधायक प्रतिनिधि तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संतोष पाण्डेय ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में
कहा कि गीता परम रहस्यमय ग्रंथ है। इसमें सम्पूर्ण उपनिषदों का सार-संग्रह किया गया है। गीता की प्रासंगिकता सभी काल में रहेगी।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अनुशास्ता डाॅ अविनाश वर्मा ने कहा कि गीता अनुपमेय हैं, इसमें एक भी शब्द सदुपदेश से खाली नहीं है। उन्होंने बहुत जोर देकर कहा कि कल्याण की इच्छावाले हर मनुष्य को श्रद्धा -भक्ति पूर्वक सपरिवार गीता का अध्ययन -मनन करना चाहिए।
पत्रकारिता में लब्धस्वर्णपदक, क्षेत्र के उदीयमान क्रान्तिकारी युवा पत्रकार रामनरेश प्रजापति ने अपने उद्बोधन में कहा की गीता का श्रवण, गायन, अध्ययन-अध्यापन तथा प्रचार-प्रसार आत्मकल्याण एवं विश्वकल्याण के मार्ग को प्रशस्त करने वाला है। हर व्यक्ति को गीता को अपने घर में रखने तथा श्रद्धापूर्वक पढने का प्रयास करना चाहिए। उसे स्वयं अपने जीवन में अंतर लगने लगेगा।
गोष्ठी में डाॅ लक्ष्मण सिंह, डाॅ पंकज सिंह,डाॅ वंदना तिवारी, डाॅ संदीप सिंह, डाॅ इन्द्र बहादुर सिंह, डाॅ अरुण शुक्ला, डाॅ रत्नेश प्रजापति, डाॅ राजेश मौर्य डाॅ,नीलू सिंह , डा नीलम सिंह, बिन्द प्रताप, अखिलेश,गंगा प्रसाद,राजेश,शिवमंगल, प्रिया, अंशिका,शिखा,साक्षी,उर्वशी, काजल आदि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर प्राचार्य ने रामनरेश प्रजापति एवं डॉ पकंज सिंह को गीता एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया तथा उपस्थित समस्त विद्यार्थियों को गीता की प्रति भेंट की।
कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन, कार्यक्रम संयोजक डॉ अवधेश कुमार मिश्रा ने किया।