Sunday, October 19, 2025
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धनतेरस से भाई दूज तक: पंचदिवसीय महापर्व — समृद्धि, पवित्रता, भक्ति और प्रेम की सांस्कृतिक सरगम

✍️ सोमनाथ मिश्र की प्रस्तुति

भारत की संस्कृति में दीपावली केवल एक दिन का नहीं बल्कि पाँच दिनों तक चलने वाला एक महापर्व है — जो धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज पर पूर्ण होता है। यह पर्व समृद्धि, पवित्रता, भक्ति, स्नेह और पारिवारिक प्रेम का प्रतीक है। दुनियाभर में बसे भारतवंशी इन दिनों में भारतीय परंपराओं की ज्योति प्रज्वलित करते हैं।

🌟 पहला दिन: धनतेरस — आरोग्य और समृद्धि का आरंभ

धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन सोना-चाँदी, बर्तन या अन्य धातु की वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

🪔 दूसरा दिन: नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)

इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक दिन है। घरों में दीप सजाए जाते हैं और लोग नकारात्मकता से मुक्ति के लिए स्नान और पूजा करते हैं।

🎇 तीसरा दिन: दीपावली — लक्ष्मी पूजन और उजियारा पर्व

दीपावली की रात्रि में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन घर-आँगन दीपों से जगमगा उठता है, और वातावरण में भक्ति, प्रसन्नता तथा एकता की भावना व्याप्त रहती है।

🪶 चौथा दिन: गोवर्धन पूजा — प्रकृति और कर्तव्य का सम्मान

गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार भंजन से है। यह पर्व प्रकृति, पर्यावरण और सामूहिक सहयोग का संदेश देता है। इस दिन अन्नकूट का आयोजन कर भगवान को अर्पण किया जाता है।

👩‍❤️‍👨 पाँचवाँ दिन: भाई दूज — प्रेम और स्नेह का प्रतीक

भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना करती हैं। यह दिन भाई-बहन के शुद्ध प्रेम और पारस्परिक संरक्षण का प्रतीक है।

🌍 आज विश्वभर में बसे भारतवंशी धनतेरस से भाई दूज तक अपने घरों में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और परिवारिक एकता का दीप जलाते हैं। इन पाँचों दिनों का संदेश है —

> “प्रकाश फैलाओ, प्रेम बाँटो, और संस्कृति को अपनाओ।”

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