महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित निःशुल्क त्रैमासिक योग प्रशिक्षण शिविर डॉ आंबेडकर स्मारक एवं राज किशोरी देवी महिला महाविद्यालय मिठौरा में योगाभ्यास का समापन हुआ। योग प्रशिक्षक संजय चौबे ने योग से होने वाले लाभ के विषय में विस्तृत रूप से बताया। लोगों को पद्मासन, मुद्रासन,अर्ध मत्स्येंद्रासन, मंडूक आसन, वज्रासन, भुजंगासन, ताड़ासन, श्वसन, कपालभाति, ब्राह्मणी, प्राणायाम सहित विभिन्न आसन का अभ्यास करते हुए लोगों से कराया। योग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि योग हमारे प्राचीन विज्ञान और परंपराओं को जीवित रखने का एक तरीका है। यह हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है, और अपने आने वाली पीढ़ियों को भी इस धरोहर के महत्व को समझाना है। योग हमारी संस्कृत धरोहर का संरक्षण करता है। योग एक प्राचीन विज्ञान है,जो अपने आप में संपूर्णता का प्रतीक है। इसके अभ्यास से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्राप्त होता है। योग का उद्देश्य इसी संतुलन और शांति को विश्व भर में फैलाना है। यदि हम इसे सही दिशा में ले जाने का प्रयास करें,तो योग से विश्व को एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा दे सकता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है। यह आत्मविश्वास का एक साधन भी है। यह आत्मा की शांति और संतुलन को प्राप्त करने में मदद करता है। उन्होंने विभिन्न योग क्रिया का संपादन भी कराया। योग समापन के पूर्व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करने के साथ सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। इस दौरान महाविद्यालय के प्राध्यापकों सहित समस्त छात्र उपस्थित रहें।