गोविवि का 74वां स्थापना दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ मना
कुलाधिपति ने अध्यक्षता करते हुए मेधावियों को दिया 112 स्वर्ण पदक
राज्यपाल ने किया सैमसंग इन्नोवेशन कैंपस, सर्व पोर्टल का शुभारंभ
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 74वां स्थापना दिवस समारोह प्रदेश की राज्यपाल और कुलाधिपति (श्रीमती) आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हर्षोल्लास के साथ बुधवार को मना। विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित समारोह में शहर के गणमान्य व्यक्ति, विशिष्ट पुरातन छात्रों समेत बड़ी संख्या में शिक्षकों, अधिकारियों तथा विद्यार्थियों ने भाग लिया।
समारोह का प्रारंभ कुलपति प्रो. पूनम टंडन तथा विशिष्ट पुरातन छात्रों द्वारा जल संचयन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। इसके बाद ललित कला एवं संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रगीत तथा कुलगीत की प्रस्तुति की गई।
समारोह की अध्यक्षता कर रही महामहिम कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने सभी को स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि किसी भी सभ्यता, किसी भी देश, किसी भी नगर की तरह संस्थाओं के इतिहास में स्थापना दिवस का विशेष महत्व होता है। वह दिन उसकी जीवन यात्रा का प्रस्थान बिंदु होता है और उसके मूल्यांकन का पहला मानक भी। स्थापना दिवस के आयोजन से जहां परंपराओ का स्मरण होता है तो वहीं वर्तमान प्रगति के मूल्यांकन और भविष्य की योजनाओं की रूप-रेखा तैयार करने का अवसर भी प्राप्त होता है।
गोरखपुर की पावन धरा का अपना एक विशिष्ट ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। यह महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु गोरक्षनाथ, संत कबीर दास आदि अनेक महापुरूषों की पवित्र भूमि रही है। मैं ऐसी पावन धरती को नमन करती हूँ।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से जुड़ा हुआ है। पंडित जी अत्यंत उच्च कोटि के दार्शनिक एवं विचारक थे, जिन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था भारतीय संस्कृति की बुनियाद पर ही निर्धारित और नियोजित होनी चाहिए। आज के अवसर पर मैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को सादर नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।
यूजीसी द्वारा कैटेगरी-I दर्जा हासिल करना गौरव की बात
विश्वविद्यालय ने सात दशकों से अधिक की अपनी अनवरत यात्रा में समाज के सभी क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है। यह आप सभी की कार्य कुशलता का ही परिणाम है कि दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन में ‘ए प्लस प्लस’ श्रेणी प्राप्त कर देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची मे अपना नाम दर्ज कराया है। अभी हाल ही में आपने क्यू०एस०वर्ल्ड रैंकिंग में दक्षिण एशिया क्षेत्र में दो सौ अट्ठावनवीं (258वीं) की रैंक प्राप्त कर उल्लेखनीय सफलता अर्जित कर पुनः अपने आपको प्रमाणित किया है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी इस विश्वविद्यालय ने प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया है।
नये पाठ्यक्रमों का निर्माण कर विश्वविद्यालय ने ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
ऊंचे लक्ष्यों, ऊंचे संकल्पों को साधने की शक्ति को हासिल करने का भी एक बहुत बड़ा पावर हाउस है युनिवर्सिटी
यूनिवर्सिटी सिर्फ उच्च शिक्षा का केन्द्र भर नहीं होती। ये ऊंचे लक्ष्यों, ऊंचे संकल्पों को साधने की शक्ति को हासिल करने का भी एक बहुत बड़ा पावर हाउस होता है, एक बहुत बड़ी ऊर्जा भूमि होती है, प्रेरणा भूमि होती है। ये हमारे चरित्र निर्माण का, हमारे भीतर की ताकत को जगाने की प्रेरणास्थली भी है।
यूनिवर्सिटी के शिक्षक साल दर साल अपने विद्यार्थियों के Intellectual, Academic और Physical Development को निखारते हैं तथा छात्रों का सामर्थ्य बढ़ाते हैं। छात्र अपने सामर्थ्य को पहचानें, इसमें भी शिक्षकों की बड़ी भूमिका होती है।
सामर्थ्य के उपयोग के साथ नीयत और इच्छाशक्ति का होना भी जरूरी
इच्छाशक्ति नहीं होने से जीवन में सही नतीजे नहीं मिल पाते हैं। इसलिए अपनी इच्छाशक्ति को बनाये रखें। देश को प्रेरित करने वाले, प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों का निर्माण शिक्षा के ऐसे ही संस्थानों में ही होता है। विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक क्षेत्र ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में भी अग्रणी स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया है। विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
पुरातन छात्र मातृ संस्था के विकास में करें योगदान
विश्वविद्यालय द्वारा आज सम्मानित विशिष्ट पुरातन विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ। ये पुरातन छात्र ही हमारे सांस्कृतिक दूत हैं। यही हमारी क्षमता, मेधा, दक्षता के प्रबल प्रमाण हैं, संबल हैं। पुरातन छात्र मातृ संस्था के विकास में अपना योगदान करें।
कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक यात्रा के लिये मंगलकामनाएं देते हुए आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगले वर्ष जब आप स्थापना के हीरक जयन्ती वर्ष में प्रवेश करें तो उपलब्धियों का एक स्वर्णिम आलोक आपके अभिनन्दन के लिए तैयार मिलेगा।
स्वागत उद्वोधन में कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में स्थापित यह प्रथम विश्वविद्यालय आज अपने अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। यह विश्वविद्यालय देश के उन शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल है जिसने नैक मूल्यांकन में ए डबल प्लस श्रेणी अर्जित करने के साथ साथ दुनिया भर की अनैक रैंकिग सूचियों में अपना स्थान बनाया है। विश्वविद्यालय को भारत सरकार की पीएम-ऊषा योजना के अन्तर्गत शोध एवं नवाचार के लिये चयनित करते हुए 100 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय को ग्रेड 1 यूनिवर्सिटी के रूप में चिन्हित किया है।
विश्वविद्यालय ने अथक परिश्रम से सत्र नियमन, परीक्षा और परिणामों की घोषणा में उल्लेखनीय सफलता पायी है। देश ही नहीं दुनिया के अनेक महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थानों के साथ एमओयू साइन किये हैं। हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप अनेक महत्वपूर्ण सुधार किये हैं। हम इस वर्ष से 4 वर्षीय स्नातक कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिये हैं। विवि पाठ्यक्रमों को यूजीसी एवं उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशों के अनुरूप डिजाइन करने वाले अग्रणी परिसरों में से एक है।
एक माह में विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 7 पेटेन्ट रजिस्टर कराये
खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को समान रूप से प्रोत्साहित करते हुए हमने उत्कृष्ट शोध की ओर भी कदम बढ़ाया है। बीते एक माह में विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 7 पेटेन्ट रजिस्टर कराये हैं। 15 पेटेन्ट स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं। हमारा लक्ष्य इस वर्ष 50 नये पेटेन्ट रजिस्टर कराने का है।
विद्यार्थियों के लिए दो महत्वपूर्ण सेवाओं का शुभारंभ
विश्वविद्यालय आज दो महत्वपूर्ण सेवाओं की शुरूआत कर रहा है। हमारे विद्यार्थी अपने अंकपत्रों, उपाधियों को प्राप्त करने के लिये परेशान न हों और इन्हें परीक्षा से लेकर उपाधि तक घर बैठे प्राप्त हो सके, इसके लिये एक पोर्टल “सर्व” का लोकार्पण कुलाधिपति ने किया। इसके अतिरिक्त सैंमसंग इनोवेशन कैम्पस कार्यक्रम स्वदेश का भी शुभारम्भ हो रहा है जिसमें विद्यार्थियों को स्किल डेवेलोपमेंट के क्षेत्र में अनेक पाठ्यक्रम एवं अवसर प्राप्त होंगे।
मेधावियों को मिला स्वर्ण पदक
महामहिम कुलाधिपति की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मेधावी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक सहित कुल 112 स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
महामहिम की गरिमामयी उपस्थिति में मेधावियों विद्यार्थियों को 48 विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक तथा 64 स्मृति स्वर्ण पदक दिया गया।
इसके साथ ही युवा महोत्सव, सांस्कृतिक, क्रीड़ा प्रतियोगिताओं तथा एन.एस.एस./एन.सी.सी. की विभिन्न प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय, राज्य या क्षेत्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
समारोह में विश्वविद्यालय के विशिष्ट पुरातन छात्र सम्मानित
स्थापना दिवस समारोह में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विशिष्ट पुरातन छात्रों पद्म श्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, चंद्रप्रकाश अग्रवाल, अतुल सर्राफ़, डॉ एल के पाण्डेय, निर्मला एस चंद्रा, पूर्व आईपीएस जितेन्द्र प्रताप सिंह एवं भारतीय रेल सेवा के डॉ स्वामी प्रकाश पाण्डेय को सम्मानित किया गया।
सैमसंग इन्नोवेशन कैंपस का शुभारंभ
सैमसंग इनोवेशन कैंपस प्रोग्राम और परीक्षा पोर्टल “सर्व” को स्थापना दिवस समारोह में कुलाधिपति द्वारा किया गया। इस पोर्टल में माध्यम से विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से अपने अनिवार्य सर्टिफिकेट तथा डिग्री प्राप्त कर सकेंगे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. तूलिका मिश्रा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी ने दिया।
कुलपति ने “कल्पवृक्ष” का पौध लगाया
स्थापना दिवस के अवसर पर कुलाधिपति वाटिका में कुलपति प्रो पूनम टंडन ने “कल्पवृक्ष” का पौध लगाया।
इसके पूर्व कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने सुबह 9 बजे विश्वविद्यालय के 74वें स्थापना दिवस पर पंत भवन में स्थापित “स्थापना शिलापट्ट” के समक्ष विधि विधान से पूजन अर्चन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यगण उपस्थित रहेl इसी क्रम में विश्वविद्यालय के संस्थापना समिति के कार्यकारिणी एवं विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य स्वर्गीय महादेव प्रसाद जी रईस की स्मृति में उनके पौत्र रसायन विभाग के पूर्व प्रोफेसर शिव सरन दास द्वारा रसायन विज्ञान विभाग में लगवाए गए वाटर प्युरीफ़ायर सहित वॉटर कूलर (40 लिटर/घंटे क्षमता) का उद्घाटन कुलपति ने किया।
स्थापना दिवस समारोह में संबद्ध महाविद्यालयों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। विश्वविद्यालय परिसर में महाविद्यालयों के होर्डिंग तथा बैनर लगाए गए और प्रबंधकगणों ने कार्यक्रम में सहभागिता की। विश्वविद्यालय ने बच्चों के लिए उपहार स्वरूप चॉकलेट की टोकरी राजभवन से प्रेषित किया था, जिसे महामहिम ने अपने संबोधन से पहले वितरित किया।
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