March 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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एकता एवं अखंडता के लिए भारत को हिंदू राष्ट्र बनाया जाना जरूरी-शाभवी पीठाधीश्वर

सनातन बोर्ड की जरूरत नहीं, बढ़ेगा एकाधिकार

भाटपाररानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
23 फरवरी 025 गुरुवार सनातन बोर्ड की जरूरत नहीं, बढ़ेगा एकाधिकार उक्त बातें स्वामी आनंद स्वरूप जी महराज ने महाकुंभ में अपने द्वारा आयोजि प्रेस वार्ता में कहीं हैं । उनका कहना है कि अखाड़ों के शोधन एवं पुनर्गठन की जरूरत है।
प्रयागराज में शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने जोर देकर कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना आज करोड़ो सनातन धर्मियों की आकांक्षा है। यदि भारत को हिंदू राष्ट्र तत्काल घोषित नहीं किया गया तो देश की एकता और अखंडता एक बार फिर खतरे में पड़ जायेगी। भारत एक बार विभाजन का दंश झेल चुका है। इसलिए इस पर अब अविलंब विचार करने की जरूरत है। पीठाधीष्वर बुधवार को कुंभ नगर के सेक्टर 9 स्थित काली सेना शिविर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
शाम्भवी पीठाधीष्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि दुनिया में ईसाइयों के 127, मुस्लिम के 57, बौद्धों के 15 देष हैं। यहां तक कि यहूदियों का भी एक देष इजरायल है। लेकिन दुनिया में करीब पौने दो अरब हिंदुओं की आबादी है परंतु उसका एक भी देश नहीं है। यही कारण है कि सनातन संस्कृति पर दूसरे धर्म के लोगों का लगातार हमला हो रहा है। यदि भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाता है तो सरकारें सनातन संस्कृति कि संरक्षण और संवर्धन के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदारी होंगी। जो फिर स्वतः ही भविष्य में कोई पाकिस्तान अब और नहीं बनने देंगी और न बनेगा। शाम्भवि पीठाधीश्वर ने कहा कि कुछ लोग सनातन बोर्ड के गठन की बात कर रहे हैं। यह बेतूकी बात है। इससे सीमित लोगों का देश के धार्मिक स्थलों पर एकाधिकार हो जायेगा। यदि देश हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाता है तो सनातन बोर्ड के गठन जैसी छोटी बात की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार अखाड़ों की निरंकुशता बढ़ती जा रही है, उससे साधु समाज आहत है। आज अखाड़ों के षंकरी परंपरा के अनुसार पुनर्गठन की जरूरत है। यदि शीघ्र ही इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किया गया तो अखाड़ों की प्रासंगिता समाप्त हो जायेगी। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना सनातन धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए किया था। आज अखाड़ों में लिफाफे की कार्य संस्कृति प्रभावी हो गयी है। महामंडलेश्वर एवं मंडलेश्वर बनाये जाने में साधुता एवं विद्वता नहीं देखी जा रही है। यह संत समाज के समक्ष बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि एक फरवरी को काली सेना शिविर में साधु-संतों एवं विद्वान आचार्यों की सभा होगी, जिसमें अखाड़ों के शोधन एवं पुनर्गठन पर कार्य योेजना तैयार की जाएगी।