सिकन्दरपुर /बलिया (राष्ट्र की परम्परा)l श्रीधाम वृन्दावन से पधारीं साध्वी आर्या पण्डित ने अपने गम्भीर वक्तव्य में कहा कि संसारियों के जन्म- कर्म की जगह भगवान के जन्म-कर्म की चर्चा करोl ताकि मरणोपरान्त भगवान को ही पाओगेl क्योंकि भगवान के जन्म-कर्म दिव्य हैं। एक बार जो नित्य वैकुण्ठ (परमधाम) चला जाता है, वह पुनः वापस नहीं लौटता। संसार में किसी न किसी प्रकार से सभी दुःखी हैl जबकि सुखी एकमात्र राम के दास हैं। अतः भगवान से कोई न कोई रिश्ता बनाना ही पड़ेगा।
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