मऊ ( राष्ट्र की परम्परा )उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रयागराज में 1 से 10 दिसंबर तक आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेला में लोक संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिला। मेले में मऊ जनपद की प्रतिभाशाली युवा गायिका रिद्धि पांडे ने अपनी मधुर लोकधुनों से दर्शकों का मन मोह लिया।
रिद्धि ने “मोहि लेलखिन सजनी”, “कौने रंग मोतिया”, “रिमझिम बरसे पनिया” जैसे लोकगीत प्रस्तुत कर उपस्थित कला प्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस उत्कृष्ट प्रस्तुति पर काशी प्रांत संस्कार भारती के लोक कला सदस्य चंद्रमणि पांडे ने संस्कृति मंत्रालय तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे राष्ट्रीय आयोजन से लोक कला एवं संगीत के संवर्धन-संरक्षण को नई ऊर्जा मिलती है तथा नई प्रतिभाओं को मंच मिलता है। इन कलाकारों के रंग, सुर और ताल से सतरंगी हो उठी। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। प्रयागराज के आशुतोष श्रीवास्तव ने “सियाराम मैं जग जानी” और “मां तू कृष्णा कान्हा” जैसे भजनों से भक्तिमय वातावरण बनाया।
इसके बाद मथुरा की नृत्यांगनाओं ने प्रसिद्ध चरकुला नृत्य से रोमांच भर दिया। वहीं राजस्थान से आई कलाकार गंगा देवी और उनकी टीम ने तेरहताली और भवई नृत्य की प्रस्तुति से पंडाल में उपस्थित महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लोकगायक मुंशीलाल सोनकर के बिरहा गायन ने भी खूब वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र के निदेशक सुदेश शर्मा ने मुख्य अतिथि, कलाकारों और दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रीय शिल्प मेला इस वर्ष भी कला, संस्कृति और लोक परंपराओं का अविस्मरणीय उत्सव साबित हुआ।
