उतरौला ,बलरामपुर(राष्ट्र की परम्परा) बाढ़ प्रभावित गांवों की विनाश कारी रौद्र रूप से बर्बाद किसानों की स्थित अब बद से बदतर हो गई है। धान का बीज डाले कुछ ही दिनों बाद बाढ़ प्रभावित गांवों के किसानों का नर्सरी गल गैर, किसी तरह अपनें मित्रो रिश्तेदारों से नर्सरी लाकर पुनः रोपाई किया गया। रोपाई करने के कुछ ही दिनों में दुसरी बार बाढ़ आ जाने से किसानों की कमर टूट सी गई।
मोहंजोत, मटियारिया , कर्मा, बाघाजोत, जनुका, जनुकी, फत्तेपुर, बभनी बुर्जुग, तिलखी बढ़या, देवारिया अर्जून, चिचौढ़ी, सहनिया, नंदौरी, समेत कई गांवों के किसानों की फ़सल प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गया। गांव के ऊंचे स्थान पर जिनका खेत है उनको थोड़ा बहुत खाने के लिए मिल सकता है लेकिन पूरे क्षेत्र में लगभग 75% फ़सल खराब हो चुकी है।
मुनीराम यादव, रामकुमार, शिव सागर, वीरेंद्र उपाध्याय, विनोद कुमार, देवी प्रसाद उपाध्याय ने सासन प्रशासन से बाढ़ प्रभावित गांवों के किसानों का हुऐ क्षति का आंकलन करवा कर क्षतिपूर्ति दिलवाने की मांग की है।
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