Monday, October 13, 2025
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होटल झिलियन एक्जक्युटिव पर फर्जी ‘निष्कासन रिपोर्ट’: मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

मुंबई (राष्ट्र की परम्परा न्यूज़) – कुर्ला एल विभाग महानगरपालिका वार्ड क्र. 166 में चल रहे अवैध होटल-गेस्ट हाउस पर कार्रवाई के दौरान एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। नूर हॉस्पिटल, एलबीएस रोड, कुर्ला स्थित होटल झिलियन एक्जक्युटिव (Hotel Jhilian Executive) को मनपा की आधिकारिक रिपोर्ट (दिनांक 06 अक्टूबर 2021) में “निष्कासन पूरा” दिखाया गया है। लेकिन स्थल निरीक्षण में यह होटल अभी भी चालू पाया गया, जिससे यह साबित होता है कि मनपा अधिकारियों ने फर्जी रिपोर्ट बनाकर मानवाधिकार आयोग और न्यायालय को गुमराह किया।

मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग, मुंबई ने इस मामले को गंभीरता से लिया।

आयोग ने “कुर्ला की चाल में खुले 108 होटल-लॉज में कोई हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?” शीर्षक से दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट को आधार बनाकर सोनू मोटू केस नं. 7949/13/2023 दर्ज किया।

एल विभाग स्वास्थ्य विभाग ने आयोग को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें बताया गया था कि:

108 होटल/गेस्ट हाउस को धारा 394 के तहत नोटिस दी गई।

91 होटल/गेस्ट हाउस को धारा 351 के तहत नोटिस दी गई, जिनमें से 76 पर अंतिम आदेश जारी किए गए।

17 होटल/गेस्ट हाउस को धारा 488 के तहत स्थल निरीक्षण नोटिस जारी हुई।

45 होटल/गेस्ट हाउस के मामले शहर दिवानी और उच्च न्यायालय में लंबित हैं।

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रिपोर्ट में झूठ का खुलासा

रिपोर्ट में सिर्फ दो निर्माणों को “निष्कासन पूरा” बताया गया था:

  1. होटल मुंबई इन (साकीनाका 90 फीट रोड) – जिस पर 28 जुलाई 2020 को कार्रवाई हुई थी।
  2. होटल झिलियन एक्जक्युटिव – लेकिन हकीकत में यहां कोई कार्रवाई नहीं हुई।

भ्रष्टाचार और मिलीभगत का आरोप

स्थानीय शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता ने मिलकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की।

आरोप है कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत के चलते होटल झिलियन एक्जक्युटिव को बचाया गया।

पुलिस बंदोबस्त की कमी का हवाला देकर 29 होटल/गेस्ट हाउस पर कार्रवाई लंबित है।

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कड़ी कार्रवाई की मांग

शिकायतकर्ताओं और दैनिक राष्ट्र की परम्परा समाचार पत्र ने मांग की है कि:

होटल झिलियन एक्जक्युटिव पर वास्तविक तोड़क कार्रवाई तुरंत हो।

फर्जी रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के तहत केस दर्ज किया जाए।

मानवाधिकार आयोग और न्यायालय के समक्ष सही रिपोर्ट पेश की जाए।

पूरे मामले की स्वतंत्र और उच्च स्तरीय जांच हो।

पारदर्शिता पर सवाल

यह मामला मनपा की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस तरह के फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में अवैध होटल-गेस्ट हाउस और भ्रष्टाचार की मिलीभगत पर रोक लगाना नामुमकिन हो जाएगा।

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