January 16, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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समावेशी संस्कृति से ही सशक्तिकरण संभव: कुलपति प्रो. पूनम टंडन

संस्कारों को सुरक्षित रखते हुए अपने विकास का सफर तय करें: डॉ. मिथिलेश तिवारी

अंग्रेजी विभाग में आयोजित हुआ मिशन शक्ति कार्यक्रम

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति फेस-5 के अंतर्गत महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था ‘ रैपसोडी और रिदम: अनलीशिंग द पॉवर ऑफ़ फेमिनिन क्रिएटिविटी ‘। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की और मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. मिथिलेश तिवारी, उपाध्यक्ष, बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत दीप प्रज्वलन से हुई। अनुप्रिया मिश्रा द्वारा प्रस्तुत दीप ज्योति गीत ने पूरे माहौल को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिकता से भर दिया। सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत गुलाब और शॉल भेंट कर किया गया।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाएं जन्मजात रूप से सशक्त हैं और उन्हें केवल अपनी शक्ति को पहचानने और आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज में समानता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि एक समावेशी और समतावादी समाज में दोनों लिंगों को समान महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं और पुरुषों को एक-दूसरे का पूरक बनकर कार्य करना चाहिए। यह पारस्परिक सम्मान और सहयोग से भरा वातावरण ही समाज को सशक्त और प्रगतिशील बनाएगा।उन्होंने शोधार्थियों और छात्रों के बीच सहयोग और समावेशी वातावरण तैयार करने की अपील भी की।
मुख्य अतिथि डॉ. मिथिलेश तिवारी ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि आज के दौर में संस्कार और संस्कृति से जुड़े रहना ही सच्चे सशक्तिकरण का आधार है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि परंपरा और मूल्यों को सुरक्षित रखना महिलाओं को हर चुनौती से लड़ने की ताकत देता है। उन्होंने अपने विचारों को सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत करते हुए गीत गाए, जिसने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने अपने संबोधन में अतिथियों। का स्वागत करते हुए महिलाओं की अद्वितीय शक्ति और समाज में उनकी केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, कि नारी शक्ति का प्रतीक है। वह केवल परिवार की धुरी नहीं, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में प्रगति और विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है। बेटियां समाज का सौभाग्य होती हैं और वे हर चुनौती का सामना दृढ़ता और आत्मविश्वास से करती हैं।उनके विचारों ने कार्यक्रम को गहराई और प्रेरणा से भर दिया।
इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी की गईं। रोहिणी, जागृति, ऋचा, आयुषी और जागृति ओझा ने समूह गायन के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के विचार को अभिव्यक्त किया। अदिति कृष्णन और अनु उपाध्याय ने कविताओं के माध्यम से स्त्रीत्व की रचनात्मकता को उजागर किया। ज़ेहरा शमशीर ने महिला सुरक्षा के महत्व पर प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमोद कुमार राय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सुरभि मालवीया ने दिया।
इस अवसर पर कला संकाय के डीन प्रो. राजवंत राव, प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. मनोज तिवारी, डॉ. विस्मिता पालीवाल, डॉ. आशीष शुक्ला, डॉ. अमित उपाध्याय डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी और अंग्रेजी विभाग के शिक्षक उपस्थित रहे।