
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर प्रदेश सहित देवरिया जनपद में बिजली संकट दिन पर दिन विकराल रूप लेता जा रहा है। भीषण गर्मी के बीच बिजली की अनियमित आपूर्ति ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। घंटों की कटौती, कम वोल्टेज और बार-बार ट्रिपिंग ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधि तमाशबीन बने हुए हैं। प्रदेश की सत्ता में ‘डबल इंजन’ सरकार होने के बावजूद देवरिया जैसे जिलों में बिजली व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। यहां के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि भारतीय जनता पार्टी से हैं—चाहे सांसद हों, विधायक हों या मंत्री—हर स्तर पर भाजपा का वर्चस्व है। इसके बावजूद आम जनता को राहत नहीं मिल रही। जनता की जुबां पर सवाल, सत्ता पक्ष की जुबां पर ताला देवरिया की जनता आज सड़कों पर है, पावरहाउसों के चक्कर लगा रही है, लेकिन जिन जनप्रतिनिधियों को चुना गया, वे बिजली संकट पर चुप्पी साधे हुए हैं। जब बात भाषण देने या डिंगे हांकने की हो, तो यही नेता घंटों माइक पर नजर आते हैं। लेकिन जब जनता को हकीकत में राहत देने की बारी आती है, तो सबकी जुबान बंद हो जाती है। मंत्रीजी और निजीकरण की चर्चा प्रदेश सरकार के एक मंत्री, जो देवरिया से ही आते हैं, उनके बारे में स्थानीय लोगों का आरोप है कि वे विभाग को अपने किसी ‘सेठ’ के हाथों बेचने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। आरोप यह भी है कि उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें पड़ोसी राज्यों से ज्यादा हैं, लेकिन बिजली की उपलब्धता सबसे कम है। कहां है ‘विकास’? बिजली कटौती की वजह से व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं—हर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। किसानों को ट्यूबवेल चलाने में परेशानी हो रही है। छात्र गर्मी में पढ़ाई नहीं कर पा रहे। छोटे दुकानदार इन्वर्टर और जनरेटर की व्यवस्था नहीं कर पा रहे। लेकिन शासन-प्रशासन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। जनता का सवाल—कब तक सहेंगे? देवरिया की जनता पूछ रही है—जब सब कुछ बेच ही देना था, तो यह ‘डबल इंजन’ का नारा क्यों? क्या सिर्फ वोट लेकर सत्ता सुख भोगने के लिए थे ये नेता? “भाजपाइयों, तुम सिर्फ बेच सकते हो… बना नहीं सकते!” जनता का सीधा आरोप है कि भाजपाई केवल बेचने में माहिर हैं—चाहे बिजली विभाग हो, रेल हो या हवाई अड्डा। लेकिन जब बनाने, सुधारने और सुविधा देने की बात आती है, तो वे नाकाम साबित होते हैं।
