October 14, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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मोहब्बत के पैगाम के साथ निकला ईद मिलादुन्नबी का जुलूस

बड़ी संख्या में लोगों ने किया इस्तकबाल,बाँटी मिठाइयां

राजापाकड़/कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा)। तुर्कपट्टी जुबां पर अमन के तराने और हथेलियों में दुआओं की शक्ल हो तो पैगम्बर हजरत मोहम्मद की आमद का दिन और खास हो जाता है। क्योंकि यही इस्लाम की ताकत और पहचान है। उक्त बातें महासोंन बड़ी मस्जिद के इमाम मौलाना तौकीर आलम ने कही।वह रविवार की सुबह महासोंन से ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को रवाना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस्लाम इंसानियत,हक-हकूककी हिफाजत का नाम है।इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए 571 ईसवी की तीसरी ईद अर्थात बारह तारीख अव्वल को हजरत मोहम्मद की पैदाइश हुई थी। मौलाना ने सभी से देश की एकता अउर अखण्डता को मजबूत करने के साथ आपसी सौहार्द को और मजबूत करने पर बल दिया। इसी प्रकार बसडीला पांडेय,महुअवा कारखाना में हजरत मोहम्मद की पैदाइश की खुशी में भब्य जुलूस निकाला गया। जुलूस में शामिल लोग हाथों में इस्लामी झंडा के साथ तिरंगा ले रखे थे।और नबी के नारे लगा रहे थे। जुलूस महासोंन बड़ी मस्जिद से होता हुआ बसडीला जामा मस्जिद, रावतपार, डिग्री, महासुन, फुरसतपुर, मारवाड़ी बेलवा, झनकौल,छहू चौराहा, तेंदुवा, अमवा दुबे पुनः बसडीला पाण्डेय आकर जुलूस समाप्त हुआ। रास्ते में फूलों से, चमकीले कागजों से, झंडा, पतंगियों क्षेत्र को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। जगह जगह जल्पनान की भी ब्यवस्था की गई थी ।जुलूस में बच्चे, बुजुर्ग, नौजवान सभी शामिल हुए। मुन्ना अली रावतपार ने नात पढ़कर चार चांद लगाया। जुलूस के समाप्ति स्थल पर मुहम्मद कलाम साहब,मुर्तुजा अंसारी,हारून कादरी तथा आरिफ अली ने मोहम्मद साहब के विचारों के साथ समाज में एकता का संदेश दिया। इसमें मुख्य रूप से आफताब आलम,फारूक अंसारी,कासिम अली,शमसुद्दीन ठीकेदार,अजरुद्दीन अंसारी,छोटे अली,मंसूर आलम,मंजूर अली,नैमुल्लाह सिद्दीकी,मुर्तुजा सिद्दीकी हारून सिद्दीकी आदि उपस्थित रहे।