विभाग की लापरवाही से लाइनमैन को 11000 का लगा करंट - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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विभाग की लापरवाही से लाइनमैन को 11000 का लगा करंट

मूर्छित अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में मौजूद

काम करने के उद्देश्य से ट्रांसफार्मर पर चढ़ा था लाइनमैन

गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)
पिछले कई दिनों से हो रही लाइट की लुका छुपी ने गोरखपुर में हाहाकार मचा रखा है। खासकर बिछिया वार्ड नंबर 23 और 22 का हाल तो और भी बुरा है। यहां रात रात भर लाइट नहीं रहती, दिन में भी वही आलम है। कई जगह लाइन रहती है। तो एक फेज में लो वोल्टेज की समस्या से लोग दो चार है, उस पर गर्मी का आलम यह है कि लोगों का जीना हराम हो चुका है। कभी लाइट नहीं, पानी नहीं, सारी समस्याओं से दो चार होने के बावजूद मुख्यमंत्री के शहर में कोई सुनने वाला नहीं। अधिकारियों को फोन करने पर किसी का भी सीयूजी नंबर उठता नहीं या तो बंद आता है। खासकर स्थानीय जेई और एसडीओ का और बुरा हाल है।
बुधवार को जहां पूरी रात लाइट नहीं रही वही, गुरुवार को भी वही हाल देखा गया।रातभर फिर दिन भर लाइट ना रहने की वजह से लोग त्रस्त रहे। इस पर भीषण उमस भरी गर्मी ने लोगों की परेशानी में और इजाफा कर दिया है। बड़ी मशक्कत के बाद दोपहर में बिछिया के वार्ड नंबर 23 स्थित कोहार टोला के पास लगे ट्रांसफार्मर पर काम करने के लिए लाइनमैन पहुंचे थे, इस दौरान लाइनमैन द्वारा शटडाउन लेने की बात कही गई, और विभाग के कर्मचारियों को फोन किया। लेकिन शटडाउन नहीं मिला और लाइन मैन को लगा कि लाइन कट चुकी है। जैसे ही वह काम करने के लिए चढ़ा ट्रांसफार्मर में ब्लास्ट हुआ और तगड़ा करंट लगने की वजह से वह बुरी तरह जख्मी होकर नीचे गिर पड़ा है, उसे कई जगह गंभीर चोटे आई हैं। स्थानीय पार्षद चंद्रभान प्रजापति की उपस्थिति में तत्काल फर्स्ट एड देने के बाद मौके पर मौजूद लोगों के सहयोग से उसे अस्पताल पहुंचाया गया, वही मौके पर अभी तक कोई भी विभागीय अधिकारी नहीं पहुंच पाया। बता दें कि मुख्यमंत्री गोरखपुर में ही है बावजूद इसके शहर की बिजली व्यवस्था का हाल बेहद बुरा है। सबसे बड़ी बात यह है कि विकास का इतना शोर मचाने के बावजूद विभाग के पास शुद्ध रूप से इक्विपमेंट भी नहीं है। सीढ़ी का तो आलम यह है कि वह टूटी-फूटी (बांस) की है। इससे बेहतर सीढ़ियां तो लोगों के घरों में पाई जाती हैं। जिसे देखकर ही डर लगता है, ना किसी वैन की व्यवस्था न किसी गाड़ी की ना ही शुद्ध पिलास या पेचकस, आखिर कहां जा रहा है जबकिं शासन द्वारा भेजा जा रहा है इतना पैसा? की विभाग के पास एक अदद शुद्ध सीढ़ी भी नहीं, यदि एक से दूसरी जगह फाल्ट हो जाए तो वहां काम करने के लिए वही सीढी जाएगी, विभाग के पास दूसरी सीढ़ी भी नहीं है। लाइनमैन आखिर काम करें तो कैसे? पेट के लिए जान जोखिम में डालना उनकी फितरत बन चुकी है, क्योंकि अधिकारियों का दबाव उनपर रहता है ज्यादातर लाइनमैन एडहॉक स्तर पर है।रात-विरात कभी भी फॉल्ट हो जाए तो यही लाइनमैन दौड़ते हैं। अधिकारी तो मस्त होकर सोते हैं। उनका फोन तक नहीं उठता। पूरी व्यवस्था इन्हीं मजबूर और गरीब लाइन मैनो पर निर्भर हैं।