Tuesday, October 14, 2025
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डीवीएनपीजी के डॉ.पवन कुमार पाण्डेय ने नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने वाली स्मार्ट डिवाइस के डिजाइन का कराया इंटरनेशनल पेटेंट

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दिग्विजय नाथ पीजी कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार पाण्डेय ने कहा कि नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने और रोकथाम के लिए स्मार्ट डिवाइस के डिजाइन का इंटरनेशनल पेटेंट ग्रांट यूनाइटेड किंगडम से प्राप्त हुआ है। यह प्रस्तावित उपकरण समकालीन नेटवर्क वातावरण में बढ़ती साइबर-सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करता है। एडवांस मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और वास्तविक समय की निगरानी का लाभ उठाते हुए, एसडी-डीपीएनआई एक गतिशील और अनुकूली घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली प्रदान करता है।
डॉ. पाण्डेय ने आगे कहा कि नेटवर्क ट्रैफ़िक पैटर्न का लगातार विश्लेषण करके, डिवाइस सामान्य व्यवहार और संभावित खतरों के बीच अंतर करता है, जिससे झूठी सकारात्मकता में काफी कमी आती है। मुख्य विशेषताओं में स्वचालित प्रतिक्रिया तंत्र, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस और मौजूदा सुरक्षा बुनियादी ढांचे के साथ सहज एकीकरण शामिल हैं। एसडी-डीपीएनआई साइबर-सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जो नेटवर्क घुसपैठ के उभरते परिदृश्य के खिलाफ एक बुद्धिमान और सक्रिय रक्षा प्रदान करता है, इंटरकनेक्टेड सिस्टम की अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
इस उपलब्धि का श्रेय हमारे पूज्य महाराज जी एवं वर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश को जाता है।जिनका उद्बोधन हमें निरंतर प्रेरित करता है साथ ही महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओमप्रकाश सिंह एवं आइ.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर प्रो. परीक्षित सिंह की प्रेरणा हमें इस प्रकार के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार के कार्य में पूरी टीम का योगदान होता है और इस पेटेंट डिजाइन टीम में  मुख्य सहयोगी के रूप में  चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से हरीश सैनी, डॉ. ललित कुमार, ज्योति सैनी, अनूप आर्य एवं पानीपत इंजीनियरिंग कॉलेज से डॉ. दिनेश वर्मा और डॉ. दीपक कौशिक रहे हैं।
डॉ.पवन ने बताया कि हम गोरखपुर मंडल से जुड़े सभी विश्वविद्यालयों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों का आह्वाहन करते हैं कि आप लोग भी साथ आएं और हम सभी मिलकर गोरक्षनाथ की इस पावन धरती को अनुसंधान एवं पेटेंट के क्षेत्र में विश्व पटल पर स्थापित करें।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि जबसे मैने प्राचार्य पद संभाला है तबसे लेकर पठन-पाठन के साथ-साथ सेमिनार, रिसर्च, पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स भी मेरी प्राथमिकता में रहे हैं।  जब भी हमारी बैठक मुख्यमंत्री जी से होती है। तो शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उनका भी जोर बार- बार सेमिनार, रिसर्च , पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स को लेकर रहता है। 
प्रो. सिंह ने कहा कि मैं भाग्यशाली हूं की मेरे पास महाविद्यालय की ऐसी टीम है जो हमारे आइ.क्यू.ए.सी कोऑर्डिनेटर प्रो. परीक्षित सिंह के साथ सेमिनार, रिसर्च,पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स पर कार्य कर रही है।
महाविद्यालय के साथ ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद भी आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है की हमारे कंप्यूटर विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर ने “नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने और रोकथाम के लिए स्मार्ट डिवाइस डिजाइन” का यू.के. से एक इंटरनेशनल पेटेंट ग्रांट प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के लिए डॉ. पवन पाण्डेय की पूरी टीम को शुभकामनाएं देता हूं।
आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर प्रो. परिक्षित सिंह ने डॉ. पवन पाण्डेय को बधाई देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ये पल हमारे लिए गौरव का है। जब मुझे आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी तो मेरी लिए इस पद पर कार्य करते हुए संस्था की गुणवत्ता के उन्नयन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी। परंतु  डॉक्टर पवन पाण्डेय जैसे युवा सहयोगीयों के सहयोग से निश्चित तौर पर आई.क्यू.ए.सी की पूरी टीम ने शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु बेहतर कार्य करते हुए अन्य शिक्षण संस्थानों से हमारे शिक्षकों ने अवार्ड एवं सम्मान भी प्राप्त किया है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा कॉलेज को गोरखनाथ स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ है।
आई.क्यू.ए.सी कोऑर्डिनेटर होने के नाते हम रिसर्च, पुस्तक प्रकाशन एवं पेटेंट के क्षेत्र में गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के साथ- साथ अन्य शैक्षणिक संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के साथ भी समझौता ज्ञापन पर  हस्ताक्षर कर शैक्षणिक उन्नयन हेतु कार्य करेंगे।  वर्तमान में यूजीसी द्वारा नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव होने जा रहा है और अब वही संस्थान नैक मूल्यांकन में उत्कृष्ट लेवल प्राप्त कर पाएंगे जो पठन-पाठन के साथ साथ रिसर्च, पुस्तक प्रकाशन, पेटेंट्स, समझौता ज्ञापन के माध्यम से फैकल्टी एक्सचेंज पर कार्य करेंगे।

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