
मरीजों का उपचार कर अपने को हो रहे कृतार्थ
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) । सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चर्दा में तैनात चिकित्सा अधीक्षक के पद पर डॉ महेश विश्वकर्मा मरिजो, के, प्रति हमदर्द बने हुए है,बेहतर उपचार करने, के, लिये, समय पर अपने कमरे में उपस्थित हो जातें हैं ,और मरीजों के देख उनके प्रत्येक समस्याएं सुनकर बेहतर इलाज कर गरीब बेवश,लाचार मरीजों का इलाज कर अपने को कृतार्थ हो रहे है, उनके अच्छे बर्ताव को लेकर सभी मरीजों मैं चर्चा का विषय है ,दवाई करने आए भोला राम उर्म 20 वर्ष ग्राम गुलरिया से बात करने पर बताया की चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश का बरताव बहुत ही, ठीक है ,वो मरीज़ो, बिठा, कर उस से उसकी तक्लीफ को सुनाना व उसे सन्तुष्ट करना डॉ महेश भगवान स्वरूप डाक्टर है। वहीं इलाज कराने आई ग्राम खरहानीया से ऊषा 23 वर्ष ने कहा कि डॉ महेश मरीजों के प्रति बात चीत करना और उसे दवा के साथ सुझाव देना ये एक खास खुबी है, वहीं मनोज कुमार शाद्धू गांव व राजन कुमार मन नगरा बताया किहमारे परिवार में जब भी किसी की तबीयत खराब होती है तो हम लोग केवल डॉ महेश को ही दिखाते हैं, क्यों कि उनसे हमें सुकुन मिलता है और उन की लिखी दवाई फायदा होता और अस्पताल में ही मिलने वाली दवाएं लिखते हैं। बात चीत के दौरान सकीना अपने बच्चे को दिखाने आई जो की बताया कि डॉ साहब के सुझाव व उनकी लिखी दवाई से बढ़िया फायदा रहता है,जब की मक्कन पुर माधव कुमार ने कहा की हम टीवी रोग से ग्रस्त थे लेकिन जब से डॉ महेश ने हमारा इलाज करना सुरु किया है तब से हम काफी स्वस्थ हो गए हैं। मरिजो के बिच में मौजूद जोया 3 वर्ष की मां रुखसाना ने कहा कि मेरी बिटिया सूखा रोग से ग्रस्त हो चुकी थी जो की मैं जिला तक दवा करके थक चुकी थी लेकिन कोई आराम नहीं मिला , लेकिन जब से डॉ महेश को दिखा रहीं हु तब से मेरी बिटिया की तबीयत में काफी सुधार आ गया है । पुजारी गांव की ज़रीना 65 वर्ष ने कहा डॉक्टर साहब को आशीर्वाद देते हुए कहा की ऐसे डाक्टर मैंने अपने जिवन मे नही देखा हम जब भी दिखाने आते हैं अस्पताल में तब अपनी मां की तरह ही बर्ताव करते हैं और पुछते है मां जी क्या तकलीफ़ हैं बताएं और उनकी इलाज से मैं स्वस्थ रहते हैं। इस पर चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश से जब संवाददाता ने बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि मेरे पास इलाज कराने के लिए जब मरीज आता है और कैहता डॉक्टर साहब मैं पहले से अब ठीक हूं तो मुझे बड़ी खुशी होती है। मैं हर संभव प्रयास करता हूं कि मेरे पास आएं मरीज़ के रोगो का इलाज करके स्वस्थ्य कर सकूं और हम से कोई नाराज़ न हो तथा मेरे द्वारा किए इलाज से वो स्वस्थ्य और संतुष्ट हो रोग ग्रस्त मरीज़ चिढ़ चिढ़ा होता और उसे जितने प्रेम से बात करके उपचार करेंगे तो उसे विश्वास हो जाता है कि अब हम जल्दी स्वस्थ्य हो जायेंगे तभी दव भी काम करने लगती है और वो स्वस्थ हो जाता है। रोग ग्रस्त मरीज़ के समस्या को ध्यान पूर्वक सुनो और प्रेम से समझावां उसे सही इलाज करो बस यही एक डॉक्टर का कर्त्तव्य है । वही मैं करता हूं क्योंकि लोग कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का दुसरा रुप होता है, डॉक्टर को भी भगवान की तरह फर्ज निभाना चाहिए।
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