निषाद पार्टी के बैनर से बढ़ा सियासी तापमान, सहयोगी दलों की नाराज़गी पर बढ़ी चर्चा

गोरखपुर/लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद लगातर सुर्खियों में हैं। उनके घर के बाहर लगे बैनर ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। इस बैनर पर लिखा है “निषाद की ताकत को मत आज़माओ, भरोसे को यूं मत गवाओ।” बैनर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है। यह संदेश सत्ता पक्ष भाजपा के लिए सीधी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। बैनर में डॉ. संजय निषाद के साथ उनके बेटों पूर्व सांसद ई. प्रवीण कुमार निषाद, विधायक सरवन कुमार निषाद और बृजेंद्र कुमार त्रिपाठी की तस्वीरें भी लगी हैं। डॉ. निषाद लंबे समय से अपनी पार्टी और समाज के हितों को लेकर आवाज़ उठाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सरकार में उपेक्षा का मुद्दा उठाकर नाराज़गी जताई थी। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद यह माना जा रहा था कि मामला शांत हो जाएगा, लेकिन नए पोस्टरों ने संकेत दिया है कि असंतोष अभी भी बरकरार है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम केवल विरोध जताने के लिए नहीं है, बल्कि सत्ता पक्ष को यह याद दिलाने की कोशिश है कि निषाद समाज का चुनावी गणित में अहम योगदान है। पिछली विधानसभा में इस समाज का समर्थन भाजपा को निर्णायक बढ़त दिलाने में सहायक रहा था। ऐसे में यदि यह समुदाय नाराज़ होता है, तो इसके असर गंभीर हो सकते हैं।
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को हवा देना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इसे भाजपा के सहयोगियों की नाराज़गी के तौर पर प्रचारित कर रही हैं। अब भाजपा के सामने चुनौती है कि वह सहयोगी दलों की नाराज़गी दूर कर सामंजस्य स्थापित करे, क्योंकि ऐसे विवाद सामाजिक और राजनीतिक दोनों समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।