निर्माण विभाग देश की अर्थव्यवस्था और विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सड़क, पुल, भवन और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में छोटे और बड़े ठेकेदारों की भूमिका दोनों ही आवश्यक है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि बड़े ठेकदारों का दबदबा निर्माण क्षेत्र में छोटे ठेकेदारों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। बड़े ठेकदार बड़े पैमाने पर परियोजनाओं में प्रवेश कर, अपने मनमाने तरीके से कार्य कर रहे हैं, जिससे छोटे ठेकेदार और मजदूर वर्ग प्रभावित हो रहे हैं।
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छोटे ठेकेदार, जो अक्सर अपने स्थानीय स्तर पर काम करते हैं और कम संसाधनों के बावजूद मेहनत और ईमानदारी से परियोजनाओं को पूरा करते हैं, अब अपनी रोज़मर्रा की रोज़गार की संभावनाओं से वंचित हो रहे हैं। बड़े ठेकदार न केवल अधिक वित्तीय संसाधनों के बल पर सरकारी परियोजनाओं में प्रवेश करते हैं, बल्कि समय सीमा और गुणवत्ता की शर्तों को लेकर भी अपनी सुविधानुसार काम कर रहे हैं। इसका सीधा असर छोटे ठेकेदारों पर पड़ता है, जिन्हें परियोजनाओं में उचित अवसर नहीं मिलते और उनका आर्थिक संकट बढ़ता है।
इसके अलावा, बड़े ठेकदार कभी-कभी स्थानीय नियमों और मानकों की अनदेखी करते हुए काम करते हैं, जिससे न केवल छोटे ठेकेदारों का व्यवसाय प्रभावित होता है बल्कि निर्माण की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं। छोटे ठेकेदार, जो नियमों और मानकों का पालन करते हैं, उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाता है। इससे निर्माण विभाग में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी प्रश्न चिन्ह उठते हैं।
समाज और सरकार दोनों को इस स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। छोटे ठेकेदारों को सशक्त बनाने के लिए सरकारी नीतियों में सुधार होना चाहिए। परियोजना आवंटन में समान अवसर दिए जाने चाहिए और बड़े ठेकेदारों की मनमानी गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही स्थानीय और छोटे ठेकेदारों के लिए विशेष कार्यक्रम और सब्सिडी उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि उनका व्यवसाय सुरक्षित रहे और वे अपनी मेहनत से रोजगार सृजित कर सकें।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के दृष्टिकोण से भी यह जरूरी है कि छोटे ठेकेदारों को बढ़ावा दिया जाए। छोटे ठेकेदार न केवल स्थानीय मजदूरों को रोजगार देते हैं, बल्कि स्थानीय सामग्रियों और सेवाओं का उपयोग करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा भी देते हैं। अगर उन्हें अवसर नहीं मिले तो यह केवल उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए नुकसानदेह साबित होगा।
अतः निर्माण विभाग को चाहिए कि वह बड़े ठेकदारों और छोटे ठेकेदारों के बीच संतुलन बनाए, पारदर्शिता सुनिश्चित करे और छोटे ठेकेदारों के रोज़गार और आर्थिक हितों की रक्षा करे। केवल तभी निर्माण क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और गुणवत्तापूर्ण विकास संभव हो पाएगा।
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