
मईल/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
सभी पंचागों में 31 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को दीपावली सर्वमान्य है यह निर्विवाद है, इसपर कोई टिका टिप्पणी नही करनी चाहिए।
धन त्रयोदशी 29अक्टूबर को है !इस दिन सायंकाल प्रदोष के समय अपमृत्यु निवारणार्थ घर के बाहर तिल के तेल मे दक्षिण मुखी दीप जलावें क्योंकि धनतेरस के दिन ही धन्वंतरी भगवान का आगमन हुआ था,
अमृत कलश का विशेषता शास्त्र में बताया जाता है कि उस अमृत का पान करने से मनुष्य अमर हो जाता है, इस अमृत का पान पंचदेव किए थे जिससे नारायण साक्षात अवतरित हुए और सृष्टि पर अमृत का व्याख्यान करते हुए सभी देवताओं को उन्होंने संदेश दिया था। धनतेरस के दिन धन्वंतरी भगवान का पूजन और नारायण का आराधना ही उत्तम माना जाएगा, इस दिन में शुभ मुहूर्त और स्थिर लग्न को ध्यान देते हुए मनुष्य झाड़ू, धनिया, सोने, चांदी सहित पंचरत्न अपने गृह मेला में और उसका विद्वत पूजा पाठ करके उचित स्थान पर रख करके और भोग प्रसाद अवश्य चढ़ाना चाहिए, क्योंकि झाड़ू में लक्ष्मी का वास होता है। लक्ष्मी नारायण का अर्धांगिनी का नाम है विन पति कथो धर्महः !! 30अक्टूबर बुधवार को छोटी दीपावली है इस दिन शायंकाल मे हनुमान जयंती भी मनाई जायेगी तथा घर के मुख्य दरवाजे पर गाय की गोबर रखकर चार बत्ती वाला चतुर्मुख दीपक जलावें !! दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त —स्थिर लग्न दिन में 1:33 से3:04 अपरान्ह तक ,प्रदोषकाल का स्थिरलग्न सायंकाल 6:11से08:08 तक सर्वोत्तम मुहूर्त है वैसे द्विस्वभाव लग्न मे भी कर सकते है। पूजा जिसका समय है सायंकाल 03:04से 04:32 सायंकाल तथा रात्रि 08:08 से10:31 रात्रि तक तथा सिंह लग्न मे सिद्धप्रद पूजा करने के लिए मध्यरात्रि 12:39 से2:53 तक मुहूर्त है धनतेरस के दिन स्वर्ण आभूषण ,चांदी , झाडू आदि खरीदना श्रेयस्कर होता है!!
पंडित राहुल कुमार शुक्ला
(ज्योतिषाचार्य /तंत्र सम्राट )
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