November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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नही दिखी बाजारों में दिपावली की रौनक

बरहज /देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
धनतेरस व दीपावली के पर्व पर बरहज बाजार की सड़कों व दुकानों पर वह रौनक नही दिखी, त्योहारों के आने पर बरहज बाजार में खरीददारी के लिए क्षेत्र की जनता की भारी भीड़ दिखाई देने लगता था और सुदूर क्षेत्रो से लोग समान खरीदने बरहज बाजार आते रहे है।
लेकिन महंगाई की मार और बाढ़ की विभीषिका के कारण बरहज बाजार में वह भारी भीड़ दुकानों व सड़को पर देखने को नहीं मिली जो बरसों पहले देखी जाती थी। जिसके लिए बरहज प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों की माने तो दीपावली एवं धनतेरस के त्योहार आते ही बाजार में लोगों की खरीददारी देखते बनती थी, पर वो रौनक नही दिखाई दी जिसके लिए बरहज बाजार दूर दूर तक प्रसिद्ध है। वही समाजसेवी श्रीप्रकाश पाल ने बताया की आसमान छूती महंगाई ने आमजनता की कमर तोड़ कर रख दी है,तथा बाढ़ की विभीषिका से आमजनमानस उबर नहीं पाया,किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी है, किन्तु बाढ़ त्रासदी से ग्रस्त किसान व आमजन को उबारने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने तमाम उपाय किये हैं, प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को हर कदम पर राहत सामग्री पहुँचाया जा रहा है ताकि आम जन को जल्द से जल्द राहत मिल सके। और किसानों को बर्बाद फसलों के लिए प्रशासन द्वारा राहत देने के लिए तमाम उपाय किये जा रहे है, आगे समाज सेवी श्रीप्रकाश पाल ने बताया कि आज मंहगाई व बेरोजगारी से जनता त्रस्त है और दीपावली की बाजार से रौनक गायब हो चला है। कभी समय था क्षेत्र की जनता से यह बाजार भरा रहता था,किन्तु धनतेरस व दीपावली पर खरीददारी के लिए जनता की भारी भीड़ नही दिखी, बरहज की सड़को व दुकानों पर, वही अजय सिंह ने बताया की आज के समय में लोग महंगाई के साथ-साथ जिन लोगों के घर बाढ़ में तबाह हो गए हैं वह अपना घरौंदा बनाने में कड़ी मेहनत कर रहे है ताकि ताकि छत के नीचे जीवन यापन कर सके। किसानों की धान की फसल तो बर्बाद हो गई है और गेहूं की फसल भी किसान नहीं बो पाएंगे, इसके लिए किसानों के चेहरे पर मायूसी छाया हुआ है।
प्रदीप जयसवाल ने बताया की उत्सव खुशी के साथ ही मनाया जाता है लेकिन बाढ़ की पानी ने त्योहार पर पानी फेर दिया है।और आमजनता महंगाई की मार से त्रस्त हो चुकी हैं।