
बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। क्षेत्र के भाटी गांव में चल रहे पंचकुण्डलीय शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक स्वामी श्रीरामजी दास महाराज ने राम नाम महिमा का वर्णन किया। कहा कि भगवान राम से भी बड़ा उनका नाम है। इस लिए प्रत्येक व्यक्ति को यथासंभव राम नाम का।संकीर्तन और जप करते रहना चाहिए। महर्षि बाल्मिकी कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस की व्याख्या करते हुए कहा कि रामायण, प्रभु का भवन या आंगन है। शास्त्र कहता है कि आराध्य के मंदिर या आंगन में प्रवेश करने से पूर्व व्यक्ति को शुद्ध होना पड़ता है। जबकि रामचरित मानस, भगवान के चरित्र का सरोवर है। जिस प्रकार सरोवर में प्रवेश करने से पूर्व शुद्ध, अशुद्ध, गंदा साफ का भेद नहीं होता उसी प्रकार रामचरित मानस के वाचन, श्रवण, मनन और चिंतन के लिए शुद्ध अशुद्ध का कोई स्थान नहीं है। जैसे सरोवर में स्नान कर व्यक्त शुद्ध और साफ हो जाता है उसी प्रकार रामचरित मानस के सुनने और कहने से मानव शुद्ध और स्वच्छ हो जाता है। इसके बाद भगवान के मंदिर या अयन में प्रवेश का अधिकारी हो जाता है।। यही नहीं रामचरित मानस जीवन जीना की कला सिखाती है। राम रामचरित मानस सुनने से मानव ही नही पशु पक्षियों का भी उद्धार हो जाता है। जिस घर मे प्रतिदिन भगवान राम के चरित्र का बखान होता है वहां पर देवता भी उपस्थिति हो जाते है।
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