महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। ठंड बढ़ते ही जनपद की सड़कों पर घना कोहरा छा गया है, जिससे दृश्यता कुछ मीटर तक सिमट गई है। ऐसे हालात में तेज रफ्तार, लापरवाही और जल्दबाजी सीधे मौत को दावत देने जैसी साबित हो रही है। बावजूद इसके, कई वाहन चालक मानो खतरे को चुनौती देते हुए अनियंत्रित गति से वाहन चला रहे हैं।
सुबह और देर रात राष्ट्रीय राजमार्गों, संपर्क मार्गों और ग्रामीण सड़कों पर स्थिति सबसे अधिक भयावह बनी हुई है। कोहरे में न मोड़ दिखता है, न सामने से आता वाहन और न ही अचानक सड़क पार करने वाले लोग। ऐसे में जरा सी चूक भी गंभीर हादसे में बदल सकती है। दोपहिया वाहन चालकों के लिए तो यह मौसम किसी परीक्षा से कम नहीं है।
चिंताजनक बात यह है कि कई चालक न तो फॉग लाइट का प्रयोग कर रहे हैं, न ही हेडलाइट को डिप पर रखते हैं। ओवरटेक करने की जल्दबाजी और सुरक्षित दूरी की अनदेखी हादसों की आशंका को कई गुना बढ़ा रही है। यही लापरवाही किसी की जिंदगी और किसी के घर की खुशियां छीन सकती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बच्चों, बुजुर्गों और राहगीरों का घर से निकलना डर का कारण बन गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों और काम पर निकलने वाले मजदूरों की सुरक्षा को लेकर परिजन लगातार चिंतित हैं।
यातायात पुलिस और प्रशासन द्वारा बार-बार चेतावनी जारी की जा रही है, लेकिन कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि कोहरे में तेज रफ्तार आत्मघाती कदम है। थोड़ी सी देर मंजूर
कर लेना बेहतर है, बजाय इसके कि जीवन ही दांव पर लगा दिया जाए। प्रशासन से मांग की जा रही है कि दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सख्त निगरानी, अतिरिक्त चेतावनी बोर्ड और गश्त बढ़ाई जाए। वहीं वाहन चालकों से अपील है कि संयम बरतें, गति नियंत्रित रखें और सुरक्षा नियमों का पालन करें। याद रखें—घर पहुंचने में देर हो सकती है, लेकिन अगर लापरवाही हुई तो घर पहुंचना ही नसीब न हो। कोहरे में सावधानी ही जीवन की गारंटी है।
घना कोहरा, बेलगाम रफ्तार और जल्दबाजी—सड़कों पर मौत का साया
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