भाषा और चेयर की चुप्पी पर उठाए सवाल, भाजपा-आरएसएस पर साधा निशाना
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा)। संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच हुई तीखी बहस के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने अमित शाह के संसद में कथित अपशब्दों के इस्तेमाल को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ बताते हुए सरकार पर जवाबदेही की कमी का आरोप लगाया।
प्रियांक खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि कहा जाता है, “भाषा व्यक्ति के नजरिए को दर्शाती है।” उन्होंने कहा कि संसद में इस्तेमाल की गई भाषा न सिर्फ सोच को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मौजूदा सरकार में जिम्मेदारी और जवाबदेही कितनी कमजोर हो चुकी है।
चेयर की चुप्पी पर सवाल
प्रियांक खरगे ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा चिंताजनक चेयर की प्रतिक्रिया रही—“न कोई फटकार, न कोई जवाबदेही। सिर्फ मुस्कान और चुप्पी।” उन्होंने आरोप लगाया कि न संसद का सम्मान रखा गया और न ही संविधान की गरिमा।
भाजपा-आरएसएस पर सीधा हमला
कांग्रेस नेता ने भाजपा-आरएसएस पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने लोकतंत्र को गंभीर व्यवस्था से एक तमाशे में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि संसद जैसे सर्वोच्च मंच पर इस तरह की भाषा लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत है।
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संसद में शाह-राहुल की बहस का पूरा मामला
यह विवाद 10 दिसंबर को तब भड़का, जब संसद में अमित शाह और राहुल गांधी के बीच ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर बहस तेज हो गई। राहुल गांधी ने गृह मंत्री को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए आरोपों पर खुली बहस की चुनौती दी। जवाब में अमित शाह ने कहा कि संसद विपक्ष की मर्जी से नहीं चलेगी और वे सभी सवालों का जवाब तय क्रम में देंगे।
वोटर लिस्ट और चुनाव आयोग पर आरोप-प्रत्यारोप
अमित शाह ने विपक्ष पर वोटर लिस्ट सुधार (SIR) प्रक्रिया का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि यही प्रक्रिया मतदाता सूची को सही करती है। उन्होंने विपक्ष की हार तय बताते हुए चुनाव आयोग पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप खारिज किया।
वहीं राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को पूरी सुरक्षा देने और 19 लाख फर्जी वोटर्स के मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने गृह मंत्री से अपनी तीन प्रेस वार्ताओं में उठाए गए मुद्दों पर संसद में सीधी बहस करने की मांग दोहराई।
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