नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। देश की राजधानी दिल्ली से अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहने वाले एक सेवानिवृत्त बैंकर को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 22.92 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर ली।
पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल साइबर क्राइम में शामिल 5 आरोपियों — अशोक, मोहित, अमित, समरजीत और कनकपाल — को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से गिरफ्तार किया है।
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में तीन बैंक खाता धारक, एक बिचौलिया और एक एनजीओ संचालक शामिल हैं। जांच में यह सामने आया है कि इस ठगी के तार कंबोडिया में बैठे चीनी साइबर अपराधियों से जुड़े हैं, जो दक्षिण-पूर्व एशिया से भारत में ठगी के नेटवर्क को संचालित कर रहे थे।
कैसे हुई ठगी:
ठगों ने पहले एक महिला को दूरसंचार कंपनी की “वरिष्ठ अधिकारी” बनाकर भेजा, जिसने पीड़ित को बताया कि उनका मोबाइल नंबर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद फर्जी मुंबई पुलिस, ईडी और सीबीआई अधिकारी बनकर ठग वीडियो कॉल पर सामने आए और जांच के नाम पर पीड़ित को छह सप्ताह तक डिजिटल कैद में रखा।
हर दो घंटे में वीडियो कॉल कर यह सुनिश्चित किया गया कि वह किसी से संपर्क न कर सके। गोपनीयता की शपथ के नाम पर उनसे एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिसकी फोटो व्हाट्सएप पर मंगाई गई।
एनजीओ के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग:
ठगों ने ठगे गए पैसों को वैध दिखाने के लिए उत्तराखंड के एक गांव में स्थित एनजीओ के खाते में ट्रांसफर किया। एनजीओ संचालक कनकपाल को कमीशन के लालच में इस नेटवर्क से जोड़ा गया था।
पुलिस की कार्रवाई:
दिल्ली पुलिस ने अब तक 2,500 बैंक खातों को फ्रीज किया है, जिनमें से करीब 3 करोड़ रुपये की राशि रोकी गई है। जांच एजेंसियों को शक है कि यह गिरोह देशभर में कई लोगों को इसी तरह डिजिटल अरेस्ट कर ठग चुका है।
