गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। स्रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने वर्ष 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को “इलेक्ट्रॉनिक सर्किटों में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन के प्रयोगात्मक प्रदर्शन” के लिए दिया।
इस खोज के उपलक्ष्य में भौतिकी विभाग में “रिव्यू ऑफ नोबल प्राइज लेक्चर इन फिजिक्स 2025” पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कुलपति प्रो. रवि शंकर सिंह ने बताया कि इस खोज से यह सिद्ध हुआ कि क्वांटम यांत्रिकी केवल सूक्ष्म स्तर पर ही नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर भी लागू हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम सेंसर तकनीक में नई संभावनाएँ खोलती है।
व्याख्यान में डॉ. निखिल कुमार ने PPT के माध्यम से नोबेल पुरस्कार की खोज और इसके महत्व को विस्तार से समझाया। कार्यक्रम में साइंस फैकल्टी के अध्यापक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. शांतनू रस्तोगी ने की, संचालन डॉ. अपरा त्रिपाठी ने किया। विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया और प्रो. उमेश यादव ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में प्रसारित किया गया। इसमें प्रो. अजय घोष (बैंगलोर) और श्री ब्रिज किशोर सिंह (नई दिल्ली) ने भी अपने विचार साझा किए। यह उत्तर प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय द्वारा नोबेल पुरस्कार आधारित पहला व्याख्यान था। भौतिकी विभाग में इस प्रकार का कार्यक्रम प्रत्येक शुक्रवार आयोजित होता है, जिसका निर्देशन कुलपति प्रो. पूनम टंडन करती हैं।
डीडीयूजीयू: रिव्यू ऑफ नोबल प्राइज लेक्चर इन फिजिक्स 2025
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