
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिले मे कॉर्टेवा एग्रिसाइंस ने इंडिया ग्लायकोल्स लिमिटेड के सहयोग से बुधवार को नाथ नगर ब्लॉक गायघाट गांव में एक महत्वपूर्ण बैठक किसानों के साथ की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय मक्का किसानों को कृषि उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने के लिए आवश्यक ज्ञान और अवसरों से सशक्त बनाना था।
बैठक में आस-पास के क्षेत्रों से 200 से अधिक मक्का किसानों ने भाग लिया। जिससे कृषि प्रथाओं को आगे बढ़ाने और आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने में समुदाय की मजबूत रुचि प्रदर्शित हुई।
कॉर्टेवा एग्रिसाइंस ने अपने उच्च उपज मक्का बीज, विशेष रूप से पी1899 किस्म के साथ प्रभावी फसल सुरक्षा समाधानों के माध्यम से किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
कंपनी ने बेहतर कृषि प्रथाओं में किसानों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने की अपनी पहलों को भी उजागर किया, जो उपज और गुणवत्ता को अधिकतम करने के लिए आवश्यक हैं।
इंडिया ग्लायकोल्स लिमिटेड ने गोरखपुर में अपने एथेनॉल उत्पादन संयंत्र के लिए फीडस्टॉक के रूप में मक्का की खरीद करके स्थानीय किसानों का समर्थन करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उत्पादित एथेनॉल भारत सरकार के एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत पेट्रोलियम में मिलाने के लिए तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति किया जाएगा। जिसका उद्देश्य ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करना और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
इस बैठक मे प्रमुख रूप से अरविंद कुमार सिंह, उप निदेशक कृषि, गोरखपुर, आर. के. सिंह, उप निदेशक कृषि, संत कबीर नगर, अरविंद कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, केवीके, प्रोफेसर डॉ. शरद कुमार मिश्रा, प्रमुख, कृषि और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, दीन दयाल विश्वविद्यालय, गोरखपुर; और आईआईएमआर के डॉ. चिक्कप्पा शामिल थे। इसके साथ ही गोरखपुर दूरदर्शन केंद्र के प्रमुख ब्रिजेंद्र नारायण और कॉर्टेवा एग्रिसाइंस और इंडिया ग्लायकोल्स लिमिटेड के कार्यकारी अधिकारी भी उपस्थित थे।
कॉर्टेवा एग्रिसाइंस और इंडिया ग्लायकोल्स लिमिटेड के बीच सहयोग स्थायी और नवाचारशील समाधानों के माध्यम से कृषि प्रथाओं को आगे बढ़ाने और किसानों की आजीविका को बढ़ाने के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
More Stories
मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर नगर में छिड़काव
धरती पर जो कुछ भी मौजूद, वह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं : प्रो. पूनम टंडन
पर्यटन के दृष्टिकोण से बौद्ध पुरास्थलों का महत्वपूर्ण स्थान: डॉ. पारोमिता शुक्लाबैद्या