कांशीराम आवास कॉलोनी में गरीबों के हक पर भ्रष्टाचार का कब्जा मकान भाड़े पर देने का चल रहा गोरख धंधा।

उतरौला ,बलरामपुर(राष्ट्र की परम्परा) कांशीराम आवास योजना, जो गरीबों और आवासहीन लोगों को घर मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, आज भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गई है। बीएसपी शासनकाल में शुरू की गई इस योजना के तहत बने मकानों का आवंटन जरूरतमंदों को नहीं, बल्कि उन लोगों को किया गया है जिनके पास पहले से ही आवास की व्यवस्था थी। इस गलत आवंटन का दुरुपयोग अब कई लोग कर रहे हैं, और यह योजना अपने उद्देश्य से भटक चुकी है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जिन लोगों को कांशीराम आवास कॉलोनी में मकान आवंटित किए गए थे, वे स्वयं इन मकानों में नहीं रहते। इसके बजाय, वे इन मकानों को किराए पर उठाकर मोटी रकम वसूल रहे हैं। किरायेदारों की गैर जिम्मेदाराना प्रवृत्ति के कारण मकानों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। मकानों की उचित देखरेख न होने से घास-फूस और झाड़ियां उग आई हैं, जिससे मकान कमजोर हो गए हैं और इनकी हालत और भी बिगड़ रही है। अब सवाल यह उठता है कि जिन लोगों के पास पहले से निजी आवास थे, उन्हें कांशीराम आवास योजना के मकान क्यों आवंटित किए गए? यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि प्रशासन ने भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया, और यह योजना क्यों भ्रष्टाचार का शिकार हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते इस मामले में सख्त कदम उठाए होते, तो गरीबों और आवासहीन लोगों का हक नहीं छीना जाता। मीडिया टीम ने जब इस मामले की जांच की, तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें वास्तव में मकान की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें मकान आवंटित नहीं किए गए। इन लोगों का कहना है कि प्रशासन को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए जिन्होंने फर्जी तरीके से आवास प्राप्त किया और आवंटन को निरस्त करना चाहिए। इस मुद्दे का समाधान प्रशासन को तत्काल उठाना चाहिए। कांशीराम आवास योजना के मकान आवंटन की गहन जांच की जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि केवल वास्तविक जरूरतमंदों को आवास दिया जाए। गैरकानूनी रूप से मकान प्राप्त करने वाले व्यक्तियों का आवंटन तुरंत रद्द किया जाए। जिन लोगों ने इन मकानों का दुरुपयोग किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों को इस प्रक्रिया में भागीदार बनाना चाहिए ताकि वास्तविक जरूरतमंदों की पहचान की जा सके। इस तरह से न केवल भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है, बल्कि योजना के उद्देश्य को भी पूरा किया जा सकता है। कांशीराम आवास योजना का उद्देश्य गरीबों को घर प्रदान करना था, लेकिन भ्रष्टाचार और प्रशासन की लापरवाही ने इसे अपनी असल दिशा से हटा दिया है। यदि प्रशासन ने समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में भी गरीबों का हक मारा जाता रहेगा। प्रशासन को इस मामले में त्वरित और सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि आवास योजना का वास्तविक लाभ उन तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।

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