November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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विकास की बाट जोहता कोपिया का टीला


संत कबीर नगर(राष्ट्र की परम्परा)l जिला मुख्यालय के उत्तर दिशा में स्थित भगवान गौतम बुद्ध की स्थली कोपिया अनुप्रिया टीले का लखनऊ की पुरातत्व विभाग की टीम ने चारो तरफ सीमांकान कार्य विगत वर्षों में कर दिया था। जिससे टीले के सुन्दरीकरण के साथ जल्द विकास की उम्मीद बंधी थी। स्थानीय लोगों में जगी विकास की उम्मीद अभी भी उम्मीद ही है।संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से 12 किमी. उत्तर की ओर पर स्थित कोपिया बौद्ध टीला सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित है। ऐतिहासिक रूप से ऐसी मान्यता है कि राजकुमार सिद्धार्थ जब दुख के कारण, निवारण और शांति के लिए अपने राजमहल त्याग कर अपने सारथी के साथ सबसे पहले कोपिया टीले पर ही पहुंचे। यही पर उन्होंने तत्कालीन अनोमा नदी (अब आमी) में स्नान कर राजसी वस्त्रों त्याग कर संन्यासी का रूप धारण कर लिए और अपने आभूषण, राजसी वस्त्र आदि सारथी को देकर राजमहल वापस भेज दिया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस टीले पर विभिन्न देशों इंग्लैंड, अमेरिका आदि देश के रिसर्च स्कॉलर व प्रोफेसर शोध कर चुके हैं। साल 2004 में एशिया के मशहूर रिसर्च सेंटर डेकेन यूनिवर्सिटी, पुणे (महाराष्ट्र) के प्रो. आलोक कुमार ने पांच वर्षों तक लगातार रिसर्च कर टीले की खुदाई की। खुदाई के दौरान बौद्ध कालीन सिक्के, गौतम बुद्ध की मूर्ति, शीशा सहित अनेक अवशेष प्राप्त हुए थे। यही नहीं इस खुदाई के दौरान यहां पर बौद्ध काल में शीशे के कारोबार होने का भी खुलासा हुआ था।साल 2019 में लखनऊ से पुरातत्व विभाग की टीम सर्वेयर मनमोहन डिमरी व विजय त्रिपाठी के नेतृत्व भौतिक निरीक्षण के बाद चारो ओर लगभग 1200 मीटर में सीमेन्ट के एंगेल लगा कर सीमांकान किया है। उन्होंने कहा कि सीमांकन कार्य पूर्ण कर दिया था। जिससे स्थानीय लोगों में उम्मीद बंधी थी कि जल्द ही टीले का विकास कार्य होगाl पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों को गांव में ही रोजी-रोटी की व्यवस्था होगीl परंतु अभी भी विकास की बाट जोह रहा है कोपिया का टीलाl