Thursday, December 25, 2025
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फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही से चिकित्सक विहीन सीएचसी, झोला छाप डॉक्टरों की चांदी

आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सरकारी अस्पताल पर नहीं है कोई डॉक्टर

महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। भारत नेपाल बार्डर से सटे व अति महत्व ग्रामपंचायत ठूठीबारी टोला धरमौली में स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सको की तैनाती न होने के वजह से फार्मासिस्ट के सहारे अस्पताल चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर इलाज न मिलने से मरीजों को काफी समस्या हो रही है। मरीज विवश होकर फार्मासिस्ट से दवा लेकर जा रहे हैं। अस्पताल में इन दिनों चिकित्सक विहीन होने से इमरजेंसी सेवा भी नहीं है। प्राप्त समाचार के अनुसार आम नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शासन ने करोड़ों रुपये की भारी भरकम धनराशि से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल का निर्माण धरमौली में कराया। इससे क्षेत्र के लोगों को उम्मीद जगी कि यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवा मिलेगी, लेकिन इन दिनों स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही से चिकित्सको और अन्य जरूरी सुविधाओं के अभाव के चलते सरकारी अस्पताल वीरान पड़ा है। लोगों के लिए सीएचसी महज नाम मात्र का दिखावा बनकर रह गई है। साधन सहकारी समिति के अध्यक्ष जय शंकर सिंह,भवन प्रसाद गुप्ता, अजय जयसवाल, ग्राम प्रधान अजीत कुमार ने कहा कि सीएचसी पर चिकित्सकों की तैनाती न होने की वजह से यहां आने वाले सैकड़ों मरीजों का इलाज फाॅर्मासिस्ट के भरोसे संचालित हो रहा है। मरीज विवश होकर सर्दी, जुकाम, बुखार, पेट दर्द, गैस, उलटी, सुगर, बीपी जैसी बीमारियों की दवा फाॅर्मासिस्ट से लेकर जा रहे हैं। यहां तक किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल पर कोई भी डॉक्टर नहीं है। वही फार्मासिस्ट सतीश शंकर वर्मा ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन करीब 70 से 80 मरीज ओपीडी के लिए पहुंचते हैं, जिनका स्वास्थ्य चेकअप कर निःशुल्क दवा दी जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरमौली में तैनात फार्मासिस्ट सतीश शंकर सिंह ने बताया कि मरीजों के इलाज के लिए डा. संदीप कसौधन व डा. ओमप्रकाश तैनात थे लेकिन बीते 19 दिसम्बर को डा. ओमप्रकाश रिजाइन दे दिए, जबकि डा. संदीप कसौधन अपना ट्रांसफर निचलौल में करा लिए है। लेकिन हैरानी बात यह है कि विगत कई दिनों से अब तक सीएचसी पर एक भी चिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी है। ऐसे में सरकारी अस्पताल इन दिनों चिकित्सक विहीन और अन्य सुविधाओं के अभाव में मरीज आसपास के झोला छाप डाक्टर या प्राइवेट नर्सिंग होम की तरफ इलाज कराने के लिए जा कर रहे हैं।

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