सीआईएसएफ के जवान को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई, गांव में पसरा मातम - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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सीआईएसएफ के जवान को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई, गांव में पसरा मातम

बलिया(राष्ट्र की परम्परा)

देश की सुरक्षा में दशकों तक सेवा देने वाले सीआईएसएफ के एएसआई मोहम्मद हाफिज अंसारी को मंगलवार को उनके पैतृक गांव शिवपुर दियर नई बस्ती बेयासी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। गार्ड ऑफ ऑनर के साथ जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो माहौल गमगीन हो उठा और हर आंख नम दिखी।

51 वर्षीय हाफिज अंसारी का निधन सोमवार को कोलकाता के देसुन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुआ। वे कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट पर एएसआई के पद पर तैनात थे। मात्र दो दिन की सेवा के बाद ही अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच के बाद उनके पेट में ट्यूमर की पुष्टि हुई। चार महीने तक इलाज चलता रहा, लेकिन 14 जुलाई की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।

हाफिज अंसारी ने वर्ष 1994 में पुलिस सेवा में कदम रखा था। प्रारंभ में बिहार के धनबाद में हेड कांस्टेबल के रूप में तीन साल कार्य किया। मेहनत और निष्ठा के बल पर पदोन्नति पाकर 29 अप्रैल 2025 को कोलकाता एयरपोर्ट पर एएसआई के रूप में नई जिम्मेदारी संभाली थी।

उनके निधन की खबर जैसे ही गांव पहुंची, मातम छा गया। मंगलवार को सीआईएसएफ के जवानों की अगुवाई में उनका पार्थिव शरीर गांव लाया गया। पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें उनके दादा के छपरा स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया।

अंतिम संस्कार के दौरान उनकी पत्नी आसमा बानो, इकलौते बेटे मोहम्मद जावेद अंसारी और चार बेटियाँ – नाजीरा, अंजुम, तरन्नुम और अक्सरा तारा, गम में डूबी रहीं। गांव के लोग इस क्षति से स्तब्ध हैं। मौके पर ग्राम प्रधान धर्मेंद्र यादव, बीडीसी प्रतिनिधि पवन गुप्ता सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण, सीआईएसएफ के जवान और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

हाफिज अंसारी का जाना न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने न सिर्फ वर्दी को सम्मान दिया, बल्कि अपने जीवन से यह संदेश भी दिया कि देश सेवा सबसे बड़ा धर्म है।