
बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग लाख दावे कर ले की बिना मान्यता और मानक विहीन विद्यालयों पर नकेल लगेगा लेकिन इन सारे दावों की पोल हर गली और चौराहो पर धडल्ले से चल रहे विद्यालय खोल रहे है। हद तो तब हो जाती है जब सरकार के सख्त निर्देश के बाद की स्कूल वाहन पीले रंग के ही होंगे और सुरक्षा मानक को अनिवार्य रूप से पुरे करेंगे। बरहज नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में बेख़ौफ़ रूप से प्राइवेट वाहनों में जानवरो की तरह ठूस कर विद्यालय लाये जा रहे बच्चे। सरकार के इस दावे की धज्जिया उडा रहे है। यह सब कुछ देख कर भी आर टी ओ और स्थानीय प्रशासन कान में तेल डाल कर सो रहा है और किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है। विदित हो की हर वर्ष जून महीने में यह ढिढोरा पीटा जाता है की अवैध रूप से चल रहे मानक विहीन विद्यालयों और अवैध विद्यालय वाहनों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी, लेकिन जुलाई बीतते बीतते सारे दावे धराशायी हो जाते है और अवैध विद्यालय संचालको और वह स्वामियों के आगे शिक्षा विभाग और संभागीय परिवहन अधिकारी तथा स्थानीय प्रशासन नतमस्तक नजर आने लगता है। बरहज क्षेत्र में 100 की संख्या में प्राइवेट वहां धड़ल्ले से स्कूली बच्चो को सुबह से शाम तक ढो रहे है और पुलिस प्रशासन भी आँख मूदे हुए है। स्थिति यह है की न तो बिना मान्यता के विद्यालयों पर नकेल कसी जा रही है और न ही अवैध रूप से जानवरो की तरह ठूस कर बच्चो को विद्यालय पहुँचाया जा रहा है।अवैध प्राइवेट वाहनों मे इन फर्स्ट एड बॉक्स ढूढ़े तो नहीं मिलेंगे, अग्निशमन संयंत्र की बात कौन करे । नौनिहालों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते इन विद्यालयों और वहां स्वामियों पर कब कार्यवाही होगा।
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प्रकृति की नाराज़गी हैं भयंकर…!