Thursday, November 13, 2025
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करुणा और शांति के प्रतीक भंते एबी ज्ञानेश्वर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि, बोले—उनका जीवन सदैव रहेगा प्रेरणास्रोत”

कुशीनगर में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भंते ज्ञानेश्वर को दी श्रद्धांजलि, कहा—बुद्ध के आदर्शों और शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार में उनका योगदान अमूल्य रहा।

कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा):
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को कुशीनगर स्थित म्यांमार बौद्ध विहार पहुंचे, जहां उन्होंने सुप्रसिद्ध बौद्ध धर्मगुरु भंते एबी ज्ञानेश्वर के पार्थिव शरीर के समक्ष पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भंते ज्ञानेश्वर का पूरा जीवन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं, करुणा और शांति के प्रसार के लिए समर्पित रहा।

मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,

“आज जनपद कुशीनगर में सुविख्यात बौद्ध धर्मगुरु एवं संत श्री भंते ज्ञानेश्वर जी के अंतिम दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित की। उनका जीवन करुणा, सेवा और शांति का प्रतीक था। उनकी शिक्षाएं सर्व समाज के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।”

सीएम योगी ने कहा कि जब भंते ज्ञानेश्वर का 31 अक्टूबर को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हुआ, तब प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ मंत्री अस्पताल पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। आज वे स्वयं कुशीनगर आए ताकि भंते ज्ञानेश्वर की पुण्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकें।

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उन्होंने आगे कहा—“महात्मा बुद्ध के मूल्यों, आदर्शों और शिक्षाओं को प्रसारित करने में भंते ज्ञानेश्वर जी का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने बौद्ध धर्म को जन-जन तक पहुंचाया और कुशीनगर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।”


🌸 बौद्ध जगत में शोक की लहर

भंते ज्ञानेश्वर का निधन लगभग 90 वर्ष की आयु में 31 अक्टूबर 2025 को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में हुआ था। उनके निधन से देश-विदेश के बौद्ध अनुयायियों में शोक की लहर है। उनका पार्थिव शरीर कुशीनगर स्थित वर्मा बुद्ध मंदिर (बर्मी मंदिर) में दर्शनार्थ रखा गया है, जहां हजारों श्रद्धालु निरंतर पहुंचकर अंतिम दर्शन कर रहे हैं।

उनका अंतिम संस्कार 11 नवंबर को कुशीनगर में किया जाएगा।


🕊️ कौन थे भंते ज्ञानेश्वर

भंते ज्ञानेश्वर का जन्म 1936 में म्यांमार (बर्मा) में हुआ था। उन्होंने 1963 में भारत आकर कुशीनगर में वर्मा बुद्ध मंदिर की स्थापना की, जो आज अंतरराष्ट्रीय श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन बुद्ध की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया।

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भारत सरकार ने उन्हें 1977 में भारतीय नागरिकता प्रदान की थी। वहीं, बौद्ध धर्म के प्रति उनके योगदान को देखते हुए म्यांमार सरकार ने 2021 में उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान ‘अभिध्वजा महारथा गुरु’ से अलंकृत किया था।

वे कुशीनगर बौद्ध भिक्षु संघ के संस्थापक अध्यक्ष थे और अनेक बौद्ध संस्थानों के प्रमुख पदों पर रहे। उनके शिष्य आज दुनिया के विभिन्न देशों में बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं।


🌼 श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख उपस्थिति

इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, सांसद विजय कुमार दुबे, विधायकगण, प्रशासनिक अधिकारी, देश-विदेश के बौद्ध भिक्षु एवं अनुयायी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भंते ज्ञानेश्वर के पार्थिव शरीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की और परिक्रमा कर नमन किया।


🌏 भंते ज्ञानेश्वर का संदेश

भंते ज्ञानेश्वर का जीवन बुद्ध की शिक्षाओं—करुणा, शांति और मैत्रीभाव का सजीव उदाहरण था। उन्होंने समाज में धार्मिक सद्भाव, अहिंसा और मानवता का संदेश फैलाया। उनकी स्मृतियां आने वाली पीढ़ियों को सदा प्रेरणा देती रहेंगी।

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