July 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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नहाए खाए से शुरू हुआ छठ महापर्व उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न

भाटपार रानी/ देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)l लोक आस्था के महा पर्व छः दिनों तक चलने वाले छठ पूजा की शुरूआत नहाए खाए के साथ मंगलवार से शुरू हुई थी छठ पूजा के लिए क्षेत्र के सभी पोखरे एवं नदी के किनारों पर बने छठ घाटों की व्यापक साफ सफाई किए गए थे। वेदियों को बना कर रंग रोगन किया गया था।
वहीं आज इस छठ पर्व का आखिरी दिन रहा।यह महापर्व पर्व के आखिरी रोज आठ नवंबर को छठ घाटों पर मनाया गया वहीं कोशी भरने वाले व्रती को सूर्योदय के पूर्व ही अपने अपने घरों को जाना होता है जो समय रहते सूर्योदय पूर्व घाटों से अपने अपने घरों को चले गए।व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ ही कार्तिक शुक्ल चतुर्थी हुई।जो कि तीन दिवसीय नियम-संयम एवं व्रत के साथ चौथे दिन सूर्योदय काल में भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर महिलाओ द्वारा पारण किया जाता है।इस लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत पांच नवंबर से हो कर,आठ नवंबर की सूर्योदय काल में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो हो गई।व्रत की शुरुआत मंगलवार नहाय-खाय से हुई थी।चूंकि इस व्रत में स्वच्छता का विशेष महत्व होता है। इसलिए प्रथम दिन घर की साफ-सफाई एवं स्नान आदि के साथ तामस पूर्ण भोजन का त्याग कर दिया जाता है। जो दिन में एक बार (चावल) भात एवं कद्दू की सब्जी का भोजन कर जमीन पर शयन किया जाता है। दूसरे दिन को खरना अर्थात पंचमी के दिन उपवास रख कर सायंकाल गुड़ से बनी खीर का भोजन किए जाते है।अंतिम एवं आखिरी दिन अपने आप में काफ़ी अहम रहा जिसमें डाला सहित छठ को निराहार रहकर बांस की सूप और डलिए में विभिन्न प्रकार के फल, मिष्ठान, नारियल, ऋतुफल, ईख आदि रखकर नदी, तालाब, पोखरा एवं बावरी के किनारे दूध, जल या गंगाजल से अर्घ्य दिए गए है। वहीं रात को व्रतियों के घरों में जागरण होता रहा।
त्योहार को लेकर यूपी बिहार बार्डर क्षेत्र में पुलिस सजग रही। भाटपार रानी तहसील के उप नगर स्थित रानी पोखरा सहित,रामपुर/प्रतापपुर, सोहनपुर बजार में स्थित राम जानकी मंदिर पोखरा,एवं आसपास के छठ पूजा घाटों में लगने वाले भीड़ ने मेले का रूप ले लिया था। जो आज 08 नवंबर शुक्रवार को उदीयमान सूर्य/भगवान भास्कर को जलार्पण के साथ ही संपन्न हुआ।