October 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

संस्कार से चरित्र

उत्तम शिक्षा और अच्छे संस्कार
जीवन में विकास के मूल मंत्र हैं,
शिक्षा से ज्ञान विज्ञान बढ़ते हैं,
संस्कारों से चरित्र श्रेष्ठ बनते हैं।

जो शिक्षित है उसे अज्ञानी की तरह
किसी से झुकने की ज़रूरत नहीं होती,
सुसंस्कृत व्यक्ति को अनावश्यक
नतमस्तक होने की ज़रूरत नहीं होती।

बढ़ी हुई उम्मीदों और वास्तविकता
के बीच अंतर मानसिक तनाव होता है,
इन दोनो के बीच में जितना ज़्यादा
अंतर होगा उतना बड़ा तनाव होगा।

हमें अपने दैनिक जीवन में हमेशा
वास्तविकता स्वीकार्य होनी चाहिये,
भौतिकता की चकाचौंध में फँस कर
व्यर्थ की उम्मीद नहीं करनी चाहिये।

झूठ की तारीफ़ और सच का मज़ाक
कुछ ऐसा ही है आजकल का रिवाज,
झूठ को सच साबित कर लेते हैं लोग,
जानना कठिन है दुनिया का मिज़ाज़।

बीते हुये कल का पछतावा और आने
वाले कल की चिंता, दो ऐसे सत्य हैं,
जो हमारी वर्तमान की, खूबसूरती
व प्रसन्नता को भी चुरा ले जाते है।

हर किसी को स्थितियों के अनुसार
जीवन में बदलाव करना होता है,
आदित्य परिस्थिति के अनुसार
कार्य कलापों को ढालना होता है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’