सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। शनिवार की सुबह जैसे ही लेखपाल आशीष कुमार का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, पूरे क्षेत्र में मातम छा गया। घर के आंगन में शव रखे जाने के साथ ही चीख–पुकार मच गई। छोटे-छोटे बच्चों को पिता विहीन देखकर हर किसी की आंख नम पड़ गई। परिजन बदहवास हालत में लगातार बिलखते रहे और माहौल बेहद भावुक हो गया।घटना की सूचना मिलते ही उपजिलाधिकारी दिशा श्रीवास्तव, तहसीलदार अलका सिंह, नायब तहसीलदार गोपाल जी समेत तहसील प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। इसी बीच पूरे जिले से सैकड़ों लेखपाल अपने साथी को अंतिम विदाई देने के लिए जुट गए। लेखपाल संघ के जिला अध्यक्ष संकटमोचन चतुर्वेदी भी मौके पर मौजूद रहे और प्रशासन से परिवार के लिए राहत व न्याय की मांग रखी।परिजनों और साथी लेखपालों ने आरोप लगाया कि निरंतर बढ़ते दबाव और अत्यधिक कार्यभार से आशीष की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। आक्रोशित लेखपाल जिलाधिकारी के मौके पर पहुंचने तक शव को न उठाने की मांग पर अड़े रहे। उनका कहना था कि जब तक मृतक परिवार को उचित सहायता और ठोस आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।स्थिति को नियंत्रित करने और परिजनों को सांत्वना देने के लिए पूर्व सपा विधायक मनबोध प्रसाद और माकपा नेता सतीश कुमार भी पहुंचे। दोनों नेताओं ने परिवार से मिलकर गहरी संवेदना व्यक्त की और प्रशासन से पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद करने का आग्रह किया।लंबे समय तक चली वार्ताओं के बीच गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। साथी लेखपालों ने आशीष को एक कर्तव्यनिष्ठ, शांत और मिलनसार कर्मचारी बताते हुए शासन से मृतक आश्रित को रोजगार, आर्थिक सहायता और न्यायिक जांच की मांग की है।
सलेमपुर में लेखपाल आशीष का पार्थिव शरीर पहुंचते ही मचा कोहराम परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, समर्थन में उतरे सैकड़ों लेखपाल—जिलाधिकारी को बुलाने पर अड़े
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