देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पाण्डेय ने भूमि संरक्षण अधिकारी देवरिया द्वारा कराये जा रहे कार्यों का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने भूमि संरक्षण अधिकारी संतोष कुमार मौर्य को निर्देशित किया कि चलायी जा रही समस्त योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाये। जिससे कि कृषक इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सके, साथ ही यह भी निर्देश दिया कि कराये जा रहे कार्यों का प्रभावी अनुश्रवण समय-समय पर होता रहे।साथ ही योजना के प्रगति की जानकारी समय-समय पर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
इस दौरान भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि डब्लू०डी०सी०-पी०एम०के०एस०वाई0-2.0 योजना में कुल 05 माइक्रोवाटरशेड में 57 राजस्व ग्राम एवं 49 ग्राम पंचायतों का कुल 4700 हेक्टेयर क्षेत्रफल चयनित है, जिसका प्रति हेक्टेयर 22000/-प्रस्तावित है। इस योजना के अन्तर्गत माइक्रोवाटरशेड के ग्राम कौला मुण्डेरा का निरीक्षण किया, जिसमें कुल 04 ड्रॉप स्पिलवे बना पाया गया जिसका अनुमानित लागत 16.12 लाख है, मौक पर पेंटिंग का कार्य कराया जा रहा था।
मुख्य विकास अधिकारी ने भूमि संरक्षण अधिकारी को निर्देशित किया कि संरचना की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु साईड में मिट्टी का भराव कराया जाय और जो मिट्टी संरचना के इधर-उधर बिखरी हुई है उसको साईड में संरक्षित किया जाये।
मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम सिरवनिया में माइक्रोवाटरशेड का निरीक्षण किया, जिसमें कुल 03 अवरोध बांध बना पाया गया, जिसका अनुमानित लागत 3.72 लाख है। कार्य प्रथम दृष्टया उपयोगी पाया गया, यह कार्य बंजर भूमि पर कराया गया है। मौके पर देखने से यह प्रतीत होता है कि पानी का ठहराव होगा जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की संभावना है साथ ही भूगर्भ जल में वृद्धि होगी। उन्होंने भूमि संरक्षण अधिकारी को निर्देशित किया कि अवरोध बाँध के लोवर साईड में वानस्पतिक आच्छादन अवश्य कराया जाये जिससे कि संरचना का स्थायित्व बना रहे।
मुख्य विकास अधिकारी ने ग्राम / परियोजना सवरेजीमनी (केसरपुर) का औचक निरीक्षण किया। भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के घटक खेत तालाब योजना में कुल 09 तालाबों के लक्ष्य के सापेक्ष 4.725 लाख का वित्तीय लक्ष्य निर्धारित है। लाभार्थी कृषक सुरेश शर्मा पुत्र राजा, खसरा संख्या 05 में तालाब का निर्माण कराया गया है, जिसमें पक्का इनलेट बना पाया गया। लाभार्थी कृषक द्वारा बताया गया कि इसमें भाकुर, ग्रास, नैनी आदि मछलियों का बीज डाला गया जिससे लगभग 0.50 लाख के लाभ की संभावना है। भूमि संरक्षण अधिकारी को निर्देशित किया गया कि आप अपने स्तर से लाभार्थी कृषक को प्रेरित करें कि तालाब के बॉधो पर सब्जी / फल की खेती करे।
निरीक्षण के दौरान अवर अभियंता विजयानन्द पाण्डेय एवं आलोक नायक और अन्य क्षेत्रीय कर्मचारी एवं कृषक उपस्थित रहे।
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