बलिया( राष्ट्र की परम्परा)l डेंगू, एडीज़ मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने के पाँच से छह दिन बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। डेंगू, खासतौर पर बारिश के मौसम के दौरान और बाद में होता हैl क्योंकि इसी मौसम में एडीज़ मच्छरों को पनपने के लिए भरपूर पानी मिलता है। इस समय डेंगू तेजी से फैल रहा हैl लेकिन उससे डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि लोगों को सावधान और जागरूक रहने की आवश्यकता है। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने दी।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2022 में आज तक डेंगू के 115 मरीज रिपोर्ट हुए हैं। जिसमें से 84 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। 31 मरीज़ों का इलाज चल रहा है। सबसे अधिक डेंगू के मरीज ब्लॉक दुबहर -26, बलिया अर्बन-23 और हनुमानगंज में 22 पाए गए हैं। डेंगू से अभी तक किसी की मृत्यु नहीं हुई है।
उन्होंने बताया कि डेंगू के लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, आंखों में दर्द, तेज़ बुखार, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, दस्त आदि।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की जनपद स्तरीय एवं ब्लाक स्तरीय रैपिड रिस्पांन्स टीम द्वारा निरोधात्मक कार्यवाही के साथ जनजागरूकता, स्वास्थ्य शिक्षा, सोर्स रिडक्शन, ज्वर पीड़ित मरीजो के रक्त नमूनों की जाँच,ब्लीचिंग पाउडर, नालियों में लार्वी साइडल का छिड़काव किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि डेंगू का पता लगाने के लिए एलाइजा जांच बेहद जरूरी है,जिससे डेंगू की पहचान होती है। एलाईजा जांच सदर अस्पताल बलिया के सेंटिनल लैब में निःशुल्क उपलब्ध है। यह जांच कोई भी व्यक्ति नि:शुल्क करा सकता है।
*मच्छर से करें बचाव*
– दरवाजों व खिड़कियों पर जाली लगवाएं।
– मच्छरदानी का नियमित प्रयोग करें।
– अनुपयोगी वस्तुओं में पानी जमा न होने दें।
– पानी की टंकी पूरी तरह से ढक कर रखें।
– पूरी बांह वाली कमीज और पैंट पहनें।
– घर और कार्य स्थल के आसपास पानी जमा न होने दें।
– कूलर, गमले आदि को सप्ताह में एक बार खाली कर सुखाएं।
– गड्डों में जहां पानी इकट्ठा हो, उसे मिट्टी से भर दें।
*बुखार होने पर क्या करें*
– बुखार होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और चिकित्सकों की सलाह के अनुसार ही अपना उपचार करें।
– सामान्य पानी की पट्टी सिर, हाथ-पांव एवं पेट पर रखें।
– बुखार के समय पानी एवं अन्य तरल पदार्थों जैसे नारियल पानी, शिकंजी, ओआरएस घोल, ताजे फलों का रस इत्यादि का अधिक सेवन करें। अपने से दर्द निवारक दवा का सेवन न करें और झोला छाप डॉक्टर से इलाज न करायें।
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