Tuesday, October 14, 2025
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मन की पुकार

जब तक साँस है तब तक आस है, प्रेम है प्यार है संघर्ष और खटास है,मेल है मिलाप है, दुआ और श्राप है, बुराई भी भलाई भी और संताप है।भाव हैं, कुभाव है, स्नेह, दुर्भाव हैं,हार है, जीत है, मंज़िल है पड़ाव हैं, मिलन है विरह है, घर व वनवास है,निंदा है प्रशंसा है, मर्ज़ है, उपचार है।द्वन्द्व प्रतिद्वन्द्व हैं, तिमिर है प्रकाश है, अमृत है तो विष है, दिन है तो रात है, आना भी है, तो जाना, निभाना भी है, अपने पराये, उन्हें अपना बनाना भी है।हँसता चेहरा, हँसकर किया काम है,हँसना शान है, और काम पहचान है,काम में हो गलती, उसका सुधार है, ग़लतियाँ बुरी नहीं, बुरा अनदेखी है।अपना कुछ नहीं, केवल प्रेम प्यार है,आदित्य सब अस्थिर ही एक सोच हैदेकर भूल जाना है, पाया तो याद है,जीवन नश्वर पर मृत्यु निर्विवाद है।डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

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