बरहज /देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर महाविद्यालयों में मनाए जा रहे पांच दिवसीय शिक्षक पर्व के तीसरे दिन स्थानीय बाबा राघव दास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय आश्रम में पुस्तकों की महत्ता और अध्ययन की उपादेयता विषयक परिचर्चा संपन्न हुई। परिचर्चा को संबोधित करते हुए पूर्व प्राचार्य प्रो.अजय मिश्र ने कहा की पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र हैं। आज सूचना क्रांति के युग में डिजिटल इंडिया का महत्व जरूर बढ़ा है लेकिन आज भी प्रामाणिक ज्ञान के लिए पुस्तकों का अध्ययन अत्यंत जरूरी है ।उन्होंने छात्रों का आवाहन किया की ज्ञान वृद्धि के लिए स्तरीय पुस्तकों का अध्ययन में नियमित रूप से करें।प्रो.मिश्र ने सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने उच्च स्तरीय साहित्य का न केवल अध्ययन किया बल्कि औरों को भी इसका अनुकरण करने पर जोर दिया। क्योंकि वे जानते थे कि भारत का भविष्य कक्षाओं से होकर गुजरता है ।परिचर्चा को संबोधित करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर बीपी पांडे ने मानव जीवन में अध्ययन और पुस्तकों की उपादेयता को विस्तार से रेखांकित किया। डॉक्टर राधाकृष्णन की कृति भारतीय दर्शन के अनेक उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने स्तरीय पुस्तकों के अध्ययन पर जोर दिया ।परिचर्चा को मुख्य नियंता श्री उमेश ने भी संबोधित किया। अध्यक्षीय संबोधन में वाणिज्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बी पी उपाध्याय ने अध्ययन को सफलता का मूल मंत्र बताते हुए कहा उच्च स्तर की पुस्तकों के अध्ययन से ही दीर्घ कालिक सफलता पाई जा सकती है ।डॉक्टर राधाकृष्णन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने छात्र-छात्राओं का आवाहन किया कि वे उनके बताए गए मार्गों का अनुकरण कर जीवन में सफल हो सकते हैं।
पुस्तके मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र- प्रो.अजय मिश्रा
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