April 19, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बड़े भाग मानुष तनु पावा

जलचर, थलचर, नभचर नाना,
चौरासी लक्ष्य भटक कर जाना,
जड़ – चेतन सब क्रमश: उत्पन्ने,
आयु रूप राशि सौंदर्य विभिन्ने।

ज्ञान, ध्यान, अभिव्यक्ति, चेतना,
अपर्याप्त सृष्टि रचयिता कल्पना,
पुनि मानुष जन्म अद्भुत सृष्टि कृति,
बृह्मरूप साक्षात शिवश्रेष्ठ प्रकृति।

बड़े भाग मानुष तनु पावा।
सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा।
पाइ न जेहिं परलोक संवारा॥

मानुष तनु जग विमल विभूती,
देव, दनुज सबकी ही मनौती,
कोटि कोटि सब यतन कराहीं,
मानुष जन्म कोऊ पावत नाहीं।

जप तप भजन ध्यान बहु कीन्हा,
पायहु नर तनु सद्ज्ञान प्रवीना,
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पुरुषारथ,
चारिउ भाँति सब करते निःस्वार्थ।

वेद, उपनिषद, पुराण अष्टदस,
संस्कार सोलह के वशीभूत तस,
आदित्य मानुष तनु पावन करि लेहू
सतधर्म साधि मोक्ष गृहण करि लेहू।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ