टोक्यो (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। जापान के अकिता प्रांत में भालुओं का आतंक चरम पर है। पिछले छह महीनों में 100 से ज्यादा हमलों में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सरकार को सेल्फ-डिफेंस फोर्स (SDF) यानी सेना की तैनाती करनी पड़ी।
यह ऑपरेशन काजुनो शहर में शुरू किया गया है, जहां स्थानीय प्रशासन ने लोगों को जंगलों में न जाने, अंधेरा होने के बाद घर से बाहर न निकलने और भालुओं को भगाने के लिए घंटियां रखने की सलाह दी है।
भालुओं की संख्या और हमले बढ़े
पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, अप्रैल से अब तक देशभर में भालुओं के 20,792 sightings दर्ज की गई हैं — जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। केवल अकिता और इवाते प्रांत में ही हमलों का दो-तिहाई हिस्सा हुआ है।
अकिता के अधिकारियों ने बताया कि भालू देखे जाने की घटनाएं छह गुना बढ़कर 8,000 से ज्यादा हो गई हैं। इसके बाद प्रांतीय गवर्नर ने SDF से मदद मांगी।
आर्मी और शिकारी मिलकर कर रहे नियंत्रण कार्य
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को करीब 30,000 की आबादी वाले काजुनो शहर में सेना के ट्रक, जीप और बुलेटप्रूफ जैकेट पहने सैनिक पहुंचे। सैनिक भालुओं को पकड़ने के लिए बॉक्स ट्रैप लगाने और जांच में मदद करेंगे, जबकि प्रशिक्षित शिकारी उन्हें मारने का काम करेंगे।
हमलों से दहशत में लोग
हाल के महीनों में भालुओं ने सुपरमार्केट, बस स्टॉप और रिजॉर्ट जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी लोगों पर हमला किया है। माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन और ग्रामीण इलाकों से पलायन के कारण भालू भोजन की तलाश में आबादी वाले इलाकों में आ रहे हैं।
भालुओं का वजन और प्रजाति
जापान के काले भालू का औसत वजन 130 किलो तक होता है, जबकि होक्काइडो के भूरे भालू का वजन 400 किलो तक पहुंच सकता है। इससे पहले भी जापान ने 10 साल पहले वाइल्डलाइफ कंट्रोल के लिए सेना को तैनात किया था।
