कोर्ट ने कॉल रिकॉर्ड को बताया निजता का हन्न काल रिकॉर्ड को सबूत मानने से भी इंकार ।
राष्ट्र की परम्परा
मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग को नियमों का उल्लंघन माना गया है। फोन टैपिंग के चर्चित केस नीरा राडिया पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी विवाद के बीच मोबाइल रिकॉर्डिंग के मामले पर फैसला सुनाया है।कोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति का कॉल रिकॉर्ड कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता हैं। साथ ही कॉल रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत के रूप में मानने से इनकार भी कर दिया गया है। स्मार्टफोन में पहले से ही इनबिल्ड कॉल रिकॉर्ड फीचर बंद कर दिया गया है। ऐसा करना प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन है।भारत में फ़ोन टैपिंग को नियंत्रित करने वाले कानून क्या हैं? भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885: अधिनियम की धारा 5(2) के अनुसार किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में, या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में, केंद्र या राज्यों द्वारा फोन टैपिंग की जा सकती है ।अब फोन पर किसी के कॉल को रिकॉर्ड करना महंगा पड़ सकता है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए आपके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है। जिसमे 2 साल की जेल और जुर्बाने का प्रावधान है ।सरकार से अनुमति लिए बिना कोई भी किसी व्यक्ति का टेलीफोन इंटरसेप्ट नहीं कर सकता । सरकार ऐसा करने के लिए उचित आधार दिखाकर किसी व्यक्ति के टेलीफोन को एक निश्चित सीमा तक ही इंटरसेप्ट करने के अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकती है।
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