बलिया( राष्ट्र की परम्परा)
बैरिया तहसील अंतर्गत गोपालपुर, दुबेछपरा, उदई छ्परा सहित दर्जनों गांव के लोगों की आस्था का प्रतीक कन्हई ब्रह्म बाबा का स्थान भी कटान की जद में आ गया है। शुक्रवार की रात घटते जलस्तर के साथ ही सोहरा कटान ने ऐसा तांडव मचाया कि लगभग सौ मीटर के दायरे में जमीन खिसककर गंगा में समाहित हो गई। कटानरोधी कार्य पर विभाग द्वारा जिस तरह पैसा बहाया गया था, उससे स्थानीय लोगो को इतना विश्वास अवश्य ही था कि उनके आराध्य और आस्था के प्रतीक कन्हई ब्रह्म बाबा का स्थान जरूर बच सकता है। लेकिन कटानरोधी कार्यो में हुए मानकों के साथ खिलवाड़ ने इनके विश्वास तब धराशाई कर दिया, जब ब्रह्म स्थान भी विलीन होने की कगार पर आ गया। कन्हई ब्रह्म बाबा का पिछला हिस्सा सहित बरगद व नीम का पेड़ गंगा में विलीन हो गया। आलम यह है कि आसपास के लोग अपने आस्था का स्मारक गिरते हुए देखकर काफी विचलित है। ग्रामीण मनोज तिवारी, सोनू पांडेय, अमित पाल, राकेश तिवारी, छोटू गुप्ता इत्यादि सिचाई विभाग के करतूतों को दुःखी मन से कोस रहे है।दो शतक पुराना इतिहास है ब्रह्म स्थान का स्थानीय निवासियों की माने तो कन्हई ब्रह्म स्थान का इतिहास लगभग दो शतक पुराना रहा है। कहते है कि जब जमींदारी प्रथा हुआ करती थी तब श्री कन्हई ब्रह्म बाबा युवावस्था में थे। जब ये अपना गौना कराकर आये तब इनके पिताजी को जमींदारों द्वारा जमीन के लगान के लिए उत्पीड़न किया गया था। पिता के उत्पीड़न के लिए खुद को खत्म कर लेने के बाद से ही ये पूजनीय हो गए।इनकी समाधि स्थल बनाकर आसपास के दर्जनों गाँव के ग्रामीण पूजने लगे। लोगो को विश्वास है कि स्थान पर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।
More Stories
विक्रांतवीर संभालेंगे देवरिया की कमान
बाबा साहब का कथित अपमान जिसे लेकर आज हुआ कांग्रेस का प्रदर्शन- केशवचन्द यादव
जगमग हो उठा श्मशान 21 हजार दीपों से हुई सरयू माँ की भव्य आरती