Saturday, October 18, 2025
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54 साल बाद खुला बांकेबिहारी मंदिर का खजाना: निकला चांदी का छत्र, गहनों के दो संदूक, ताशखाने से मिला रहस्यमयी सामान

मथुरा (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी मंदिर का 54 साल बाद बंद पड़ा तोशखाना (खजाना) आखिरकार धनतेरस के शुभ अवसर पर शनिवार को खोला गया। इस खजाने को खोलने का कार्य हाई पावर्ड मंदिर प्रबंधन कमेटी के आदेश पर किया गया। हालांकि, इस दौरान गोस्वामी समाज ने विरोध जताते हुए मांग की कि तोशखाने की प्रक्रिया को मंदिर परिसर के बाहर लाइव स्क्रीनिंग के जरिए भक्तों को दिखाई जाए।

जब खजाने का दरवाजा खोला गया, तो धूल, गंदगी और गैस के कारण टीम को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अंदर की मिट्टी हटाते समय एक काला सांप निकल आया, जिससे अफरा-तफरी मच गई। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर सांप को सुरक्षित बाहर निकाला, जिसके बाद कार्य फिर शुरू हुआ।

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अब तक खजाने से एक लकड़ी का संदूक, तीन देग, तीन बड़े कलश, एक परात, चार गोल पत्थर, बड़ा लकड़ी का तख्त, दो गहनों के बक्से, 2 फरवरी 1970 का पत्र और एक चांदी का छोटा छत्र बरामद हुआ है।

इतिहासकारों के अनुसार, अंतिम बार यह तोशखाना 1971 में मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल के नेतृत्व में खोला गया था। उस समय कुछ कीमती सामानों की सूची तैयार कर उन्हें सील के साथ मथुरा की स्टेट बैंक शाखा में जमा कराया गया था। बताया जाता है कि मंदिर निर्माण के समय यह खजाना पूजित कर स्थापित किया गया था।

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मंदिर इतिहास के अनुसार, ब्रिटिश काल (1926 और 1936) में दो बार यहां चोरी की घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद तहखाने का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया था। अदालत के आदेश पर 1971 में इसे सील कर दिया गया था। वर्षों से सेवायतों और भक्तों की मांग थी कि इस रहस्यमयी तोशखाने को फिर से खोला जाए। आखिरकार 2025 में यह प्रतीक्षा समाप्त हुई और मंदिर का खजाना एक बार फिर दुनिया के सामने आया।

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