
कन्हैया यादव।
बघौचघाट,देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
पथरदेवा विकास खंड क्षेत्र के मेदीपट्टी गांव स्थित श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के प्रेरणा स्रोत के रूप में भी उभर कर सामने आ रहा है। इस परिवर्तन की नींव रखी है मंदिर के अध्यक्ष सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने जिनकी गांव के प्रति समर्पण और नेतृत्व आज समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव की ओर से गांव में अब तक कई सामाजिक कार्य किया जा चुके हैं।जिनमें निर्धन कन्याओं के सामूहिक विवाह,विशाल यज्ञों का आयोजन तथा गांव के समग्र विकास के लिए लगातार प्रयास शामिल है। उनका उद्देश्य गांव को एक आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित करना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से किए गए श्री नर्वदेश्वर महादेव मंदिर का उद्घाटन और पूजन इस मंदिर की क्षेत्रीय से राष्ट्रीय स्तर का पहचान तक की यात्रा को दर्शाता है। अब यह मंदिर उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में ख्याति प्राप्त हो चुका है। सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव का मानना है कि गांव का विकास होगा तो देश का विकास होगा।इसी विचारधारा के तहत उन्होंने एक प्रेरणादायक नारा दिया है चलो गांव की ओर जो अब क्षेत्र में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है।यह नारा उन लोगों को जागरुक कर रहा है जो शहरों, विदेश में बसे हुए हैं।और अपने गांव से दूर हो चुके हैं।उनका मानना है कि यदि प्रवासी,नागरिक,उद्योगपति और सक्षम लोग अपने जन्म भूमि की ओर लौट कर वहां विकास की अलख जगाएंगे तो गांव में आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी लिखी जा सकती है। मंदिर अध्यक्ष सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव का यह प्रयास ही केवल एक सामाजिक मुहिम है जिसका किसी प्रकार की राजनीतिक मंशा से कोई संबंध नहीं है।
वही सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने कहा कि हमारा यह नारा केवल युवाओं और समाजसेवियों को जागरूक करने हेतु है यदि कोई इसे राजनीति से जोड़ रहा है तो यह उसकी अपनी सोच है।हमारा उद्देश्य केवल इतना है कि गांव का चौमुखी विकास हो और वहां के युवा आत्मनिर्भर बने।उन्होंने कहा कि आज लोग सफलता पाकर गांव समाज को भूलते जा रहे हैं।हमारा प्रयास है कि उन्हें गांव की विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जाए। हालांकि क्षेत्र में कुछ लोग इस नारे को राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।इसको लेकर सुरेंद्र लाल श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि फिलहाल इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है यह केवल समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
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