
सेना की ताकत और मजबूत कर दो
अग्निपथ” योजना को तुरंत दूर कर दो
लेखक-प्रतीक संघवी राजकोट गुजरात
यह विचार क्यों आया?
आज तक मैने कभी भी सेना और उसके बारे में गहराई से नहीं सोचा था जब भी मैने अपने तहसील की साइट बनाई तब यह भी एक प्रयास रहा था की किस गांव में से कितने लोग सेना में हे उसका लिस्ट बनाए और 15 साल पहले यह कोशिश भी हुई। बस यही लेकिन अभी ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब मैं एक गांव के खेत में खाना खाने गया उस गांव में हर 4 से 1 घर भारतीय सेना से तालुक रखता हैं। वहा ज्यादातर युवा लड़के सुबह आपको व्यायाम और दौड़ लगाते हुए मिलेंगे तो मैने उसी युवाओं में से जो खेत में आए थे उससे पूछ लिया की कैसी चल रही हे सेना की तैयारी और हमारे गांव में से कोई था सरहद पर काश्मीर में। उसका जवाब सुनकर मैं चौंक गया क्योंकि उसने बताया की मैने और ज्यादातर लड़कों ने तैयारी ही छोड़ दी हैं यह अग्निवीर जैसी भर्ती के कारण, क्योंकि उसमें भविष्य नहीं हैं। यह सुनकर मुझे यह लिखना पड़ रहा हैं। अब आइए जानते हे इसके बारे मे।
अग्निपथ योजना: क्या हैं और कब आई!
भारत सरकार ने 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना की शुरुआत की, जो भारतीय सशस्त्र बलों को युवा, कि गतिशील और तकनीकी रूप से-सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाता है, जो चार वर्ष की सेवा के बाद देश और समाज में नई ऊर्जा के साथ योगदान दे सकते हैं। लेकिन इस योजना को लेकर युवाओं में उत्साह और असंतोष दोनों देखने को मिल रहे हैं। आइए, इस योजना के विभिन्न पहलुओं, इसकी प्रगति, लाभों, चुनौतियों और भारतीय सेना को मजबूत करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करें।
अग्निपथ योजना का परिचय
अग्निपथ योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में युवाओं को शामिल कर सेना की औसत आयु को 32 वर्ष से घटाकर 26 वर्ष करना है। यह योजना जवान स्तर पर भर्ती के लिए लागू की गई है, जिसमें 17.5 से 21 वर्ष की आयु के युवा (पहले बैच के लिए 23 वर्ष तक छूट दी गई थी) हिस्सा ले सकते हैं। भर्ती के लिए न्यूनतम 10वीं या 12वीं पास की शैक्षिक योग्यता और अखिल भारतीय मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है। अग्निवीर चार वर्ष तक सेवा देते हैं, जिसमें छह महीने का प्रशिक्षण शामिल है। चार साल बाद, 25% अग्निवीरों को उनके प्रदर्शन और मेरिट के आधार पर स्थायी नियुक्ति का अवसर मिलता है, जबकि बाकी युवा नागरिक जीवन में नए अवसरों की तलाश करते हैं। इस योजना का लक्ष्य न केवल सेना को युवा बनाना है, बल्कि पेंशन जैसे दीर्घकालिक वित्तीय बोझ को कम करना और युवाओं में देशभक्ति व अनुशासन की भावना को बढ़ावा देना भी है। लेकिन अगर युवा समझ नहीं रहे हैं और वह तैयारी ही छोड़ देंगे तो देश को भविष्य में अच्छे और जाबाज सैनिकों की कमी महसूस होगी।
अभी तक हुई भर्ती
अग्निपथ योजना के तहत अब तक कई बैचों में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वर्ष 2022 में पहले बैच में लगभग 46,000 अग्निवीरों को भर्ती किया गया। इन युवाओं को नासिक रोड के आर्टिलरी सेंटर जैसे प्रशिक्षण केंद्रों में 31 सप्ताह का कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें 10 सप्ताह का बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण और 21 सप्ताह का उन्नत प्रशिक्षण शामिल है। हाल ही में, 2025 तक बिहार रेजीमेंट केंद्र ने 547 अग्निवीरों को प्रशिक्षित कर देश की सेवा में समर्पित किया। जम्मू-कश्मीर में भी 34 असम राइफल्स ने स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनकी भागीदारी बढ़ाई है। सरकार ने अगले कुछ वर्षों में प्रतिवर्ष 50,000 से 60,000 और बाद में 90,000 से 1.25 लाख अग्निवीरों की भर्ती का लक्ष्य रखा है। यह प्रक्रिया सेना में नई ऊर्जा लाने और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है।लेकिन यह आम सैनिकों से थोड़ा कम कक्षा में दिख रहा हैं और साथ ही यह 4 साल का आपातकाल की तरह लगता हैं जिससे युवाओं के जोश पर असर पड़ेगा।
अग्निवीर और नियमित सैनिकों को मिलने वाले लाभ
यह बहुत ही चर्चा वाला विषय हैं आज इसको समझ लेते हैं।
की अग्निपथ योजना के तहत
अग्निवीरों को कई आर्थिक और सामाजिक लाभ दिए जाते हैं, लेकिन ये नियमित सैनिकों से भिन्न हैं। एक अग्निवीर को पहले वर्ष में 30,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है, जिसमें से 21,000 रुपये इन-हैंड और 9,000 रुपये सेवा निधि फंड में जमा होते हैं। चौथे वर्ष तक यह वेतन बढ़कर 40,000 रुपये हो जाता है। चार वर्ष की सेवा पूरी करने पर अग्निवीर को 10.04 से 12 लाख रुपये का टैक्स-मुक्त सेवा निधि पैकेज मिलता है। इसके अलावा, 48 लाख रुपये का जीवन बीमा, ड्यूटी पर मृत्यु होने पर 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और पूर्ण सेवा अवधि का वेतन, राशन, यूनिफॉर्म, यात्रा भत्ता, स्वास्थ्य सुविधाएं और कैंटीन सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। उदाहरण के लिए, सियाचिन में शहीद अक्षय गावटे के परिवार को उनकी पूरी सेवा अवधि की सैलरी दी गई। अग्निवीरों को 12वीं समकक्ष सर्टिफिकेट और कौशल प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी मिलता है, जो नागरिक नौकरियों में सहायक है। साथ ही, सीआईएसएफ, बीएसएफ , सीआरपीएफ, और एसएसबी में 10% आरक्षण, उत्तर प्रदेश पुलिस में 20% आरक्षण और आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट जैसे लाभ भी हैं।
नियमित सैनिकों
दूसरी ओर, नियमित सैनिकों को 15-20 वर्ष की सेवा के बाद पेंशन (वन रैंक-वन पेंशन योजना के तहत), ग्रेच्युटी, एक्स-सर्विसमैन स्वास्थ्य योजना और अन्य दीर्घकालिक लाभ मिलते हैं। नियमित सैनिकों को सामाजिक सम्मान और नौकरी की स्थिरता का लाभ भी प्राप्त होता है, जो अग्निवीरों को नहीं मिलता। इस प्रकार, अग्निपथ योजना अल्पकालिक सेवा और आर्थिक प्रोत्साहन पर केंद्रित है, जबकि नियमित सैनिकों को दीर्घकालिक सुरक्षा और स्थिरता मिलती है।
युवाओं में घटता उत्साह
अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से ही इसे लेकर युवाओं में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई युवा इस योजना से असंतुष्ट हैं, जिसके कई कारण हैं। चार वर्ष की अल्पकालिक सेवा और केवल 25% अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति का अवसर कई युवाओं को भविष्य की अनिश्चितता की ओर ले जाता है। पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे दीर्घकालिक लाभों की कमी भी युवाओं को हतोत्साहित करती है। विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, ने इस योजना को “यूज़ एंड थ्रो” नीति करार दिया, जिससे युवाओं में भ्रम और असंतोष बढ़ा है। 2022 में बिहार, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में योजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें रेलगाड़ियों और रेलवे दफ्तरों को नुकसान पहुंचा। कई युवा, जो पहले से सेना भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे थे, इस नई प्रणाली से निराश हुए। हालांकि, जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं ने उत्साह दिखाया है, और सेना द्वारा प्रशिक्षण और प्रोत्साहन कार्यक्रमों ने इसे बढ़ाने में मदद की है। लेकिन अगर 4 सालों तक ही इसकी सोच होगी तो यह सेना के लिए घातक परिणाम ला सकती हैं क्योंकि यह संवेदनशील विषय हैं जिसमें कोई भी रिस्क नहीं लिया जा सकता और न तो ऐसी भर्ती में कोई एक्सपेरीमेंट कर सकते हैं।
योजना को बंद करने और आयु सीमा में छूट की मांग
विपक्षी दलों और कुछ रक्षा विशेषज्ञों ने अग्निपथ योजना को बंद करने की मांग की है। मेजर जनरल बिशंभर दयाल जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि कम प्रशिक्षण अवधि और अल्पकालिक सेवा सेना की युद्धक्षमता को कमजोर कर सकती है।कितने नेताओं ने इसे युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक बताया है। विपक्ष ने सत्ता में आने पर इस योजना को रद्द करने और पुरानी भर्ती प्रणाली को बहाल करने का वादा किया है। इसके साथ ही, आयु सीमा में छूट की मांग भी जोर पकड़ रही है। सरकार ने पहले बैच के लिए आयु सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष किया था, लेकिन अब इसे फिर से 21 वर्ष तक सीमित कर दिया गया है। युवा और विपक्ष स्थायी भर्ती और अधिक आयु छूट की मांग कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक युवा सेना में शामिल हो सकें।
भारतीय सेना को मजबूत करने के उपाय
भारतीय सेना को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, सेना के आधुनिकीकरण पर ध्यान देना जरूरी है। अग्नि और ब्रह्मोस मिसाइल, राफेल विमान और आधुनिक टैंकों जैसे हथियारों का विस्तार और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। दूसरा, अग्निवीरों के लिए प्रशिक्षण अवधि को बढ़ाकर और अधिक गहन बनाना होगा, ताकि वे युद्ध की चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार हों। तीसरा, अल्पकालिक के बजाय दीर्घकालिक भर्ती पर जोर देना चाहिए, जिससे अनुभवी सैनिकों की संख्या बढ़े और सेना में निरंतरता बनी रहे।
युवाओं का उत्साह बढ़ाने के लिए अग्निपथ योजना में सुधार, जैसे पेंशन और अन्य लाभ जोड़ना, आवश्यक है। क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए भर्ती में सभी राज्यों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए। महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अग्निपथ योजना ने उनके लिए सेना में अवसर खोले हैं। इसके अलावा, सैनिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और परिवार कल्याण योजनाएं शुरू कर उनके मनोबल को बढ़ाया जा सकता है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और स्वदेशी तकनीक पर निवेश करना भी सेना की ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है।
वैसे ही हमने आधारकार्ड , रास्ते , मनरेगा , वेबसाइट मेकिंग , रेल , एर जैसी कई जगह पे टेंपररी और कॉन्ट्रैक्ट बेस करने के बाद की हालत देखी ह, जिससे ना तो आपका डेटा सुरक्षित रहता है और न तो उसको चलाने वाला कॉन्ट्रैक्ट क्योंकि सभी एक कम सोच से ही आते हैं और सेना में हमें दीर्घ कालीन सोच वाले सैनिक चाहिए इसको हम ऐसे नहीं छोड़ सकते के बाद में दूसरा बना लेंगे या नियम बदल देंगे क्योंकि यह देश की सरहद का मामला हैं। इसमें कोई भी बाधा नहीं हो सकती हे। उल्टा अगर हम देश की चौथी इकोनॉमी होने के बाद भी सेना की भर्ती में वित्तीय बोझ देख रहे हैं तो यह सरासर गलत हैं। अगर सरकार और देश को युवा सेना चाहिए तो आप उसमें आयु की अनामत भी लगा सकते हो के 50% लोग सिर्फ 18 से 23 तक के ही भर्ती करेंगे। वैसे भी यह योजना से सेना सिर्फ सेना नहीं रहेगी प्रशिक्षण की फैक्ट्री बन जाएगी जो हर लाख युवाओं में 75000 को प्रशिक्षण दे छोड़ देंगी और वह युवा जॉब ढूंढेंगे। यही बात एआई को पूछी तो पहले उसने 65% इस योजना को सुचारु बताया लेकिन जब मैने गांव वाला वाक्या बताया तो वह 50% पे आ गया। तो यह कृत्रिम दिमाग भी समझता हैं की इसमें रिस्क हैं तो अंत में।
सरकार क्यों जोर दे रही हैं अग्निपथ पर अग्निवीरो की
क्योंकि देश को जरूरत हैं सरहद पर सच्चे हीरो की।
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